एक शुरुआत ही काफी है जनाब,
रास्ता खुद-ब-खुद बन जाएगा ।-
जिस रोज़ मिरी सुकून से मुलाक़ात होगी
फक़त तभी से ज़िन्दगी की शुरुआत होगी!
अन्धेरा खत्म होगा ग़मों का मेरे आँगन से
बांहें खोले रहेगी ख़ुशी मिलने को बेताब होगी!
जुगनुं ज़मीं के हैं कि अलग- अलग रहते हैं
देखना अर्श पर सितारों में कितनी मसावात होगी!
वो जगमगाता चराग़ अब बुझने-बुझने को है
मुझको पता है ये आंधियों की ही क़रामात होगी!
मुफ़लिसी में हूँ कि अभी तन्हा हूँ 'शालीन'
इक रोज़ मुझ पर भी मुहब्बत-ऐ-बरसात होगी!!-
अभी तो महज़ शुरुआत है तुम्हे अभी से नफरत हो गई मुझसे
अभी मुझे तुम्हारी तरह बनना बाकी है-
"सौभाग्य मेरा कहीं नहीं सोया,
मैंने ही उसे कही छुपा दिया,
इस अंधकार भरे जीवन में,
सूर्योदय अब होगा जल्द,
आलोचनाओं के भवर हम,
जो फँसे थे पिछले कुछ वक़्त में,
उन्हें अलविदा कह कर अब,
नया सवेरा अब होगा जल्द...."!!
-
नए साल की नई शुरुआत करते हैं__..
हम दोनों फिर से बात करते हैं..!!-
मेरी डायरी का पहला पन्ना गुम है
एक नई शुरुआत के लिए अभी वक्त
का हुकुम है
लिखा था वहां अरमानों का बेला
सजाया था शब्दों का चोला,, पर
छोड दिया शुरू से चलना
क्योंकि एक ना एक दिन
अंत लाज़मी है इसलिए
शुरुआत अंत से कि है ताकि वो
शुरुआत मिल जाए
मेरा खोया हुआ पन्ना
मुझे वापिस मिल जाए✍️✍️
-
221 2121 1221 212
वो अजनबी से मुझसे शुरूआत में रहे,
इक वक़्त बाद वो मेरी हर बात में रहे।
हम ग़मज़दा हुए भी तो आँसू लिए छुपा,
रोते हुए हमेशा ही बरसात में रहे।
दूरी हमेशा ही रही दोनों के दरमियाँ,
लेकिन हमेशा वो ही ख़यालात में रहे।
उल्फ़त कहाँ छुपाने से छुपती है दोस्तो,
नज़्म-ओ-ग़ज़ल में वो मेरी हर बात में रहे।
हर वक़्त साथ मेरे ख़यालात उनके हैं
"मीना" वो साथ यादों की बारात में रहे।-
तेरी माथे पर लगी लाल बिंदी का मैं दीवाना हूं
तेरी हरी चूड़ियों की झंकार सुनने वाला मैं परवाना हूं
तेरी अदाओं पर घायल मैं हसीन जमाना हूं
तू अपनी मखमली होठों से जो गुनगुनाए मैं वो गाना हूं
तेरी गलियों का आशिक मैं पुराना हूं
तेरी माथे पर लगी बिंदी का मैं दीवाना हूं,
दीवाना हूं।
-