QUOTES ON #RASHMIRATHI

#rashmirathi quotes

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22 SEP 2018 AT 23:34


8 MAY 2021 AT 7:10

रश्मिरथी
तृतीय सर्ग- भाग 2
(भगवान कृष्ण का क्रोध)
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13 APR 2020 AT 13:34

जो योद्धा कभी किसी के सामने झुका नाही,
वो दुर्योधन केवल अपने मित्रा के प्राण के खातिर अपने शत्रु समक्ष झुक गया,
और जो योद्धा अपने वचनो के लिये हमेशा प्रतिबद्ध रहा,
वो मृत्युंजयी, रश्मिरथी, राधेय कर्ण जाते जाते भी मित्रता को अमर कर गया.....

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21 JUN 2021 AT 8:33

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26 MAY 2021 AT 12:32

जंतु एक बहुरूप ले रहा
भय अनेक वो मन में बो रहा
व्याकुल मनुकुल भयंकर रहा
दया करो शिव अमंगलहरा। उत्सुक यम किंकर वो हो रहे
विलय प्रलय शंकर सा कर रहे
संबंधों को सब है खो रहे
हाथ जोड़ "हे वैद्य तुम हरे!"।
वायु अपना दम तोड़ रहा
अग्नि जलाकर है वो थक रहा
भूमी गोद में जगह ना रहा
पीड़ा में ख़ुद वरुण रो रहा। अंत समीप में ना है दिख रहा
अनिश्चित भविष्य दुःख दे रहा
बंद रहने में कष्ट हो रहा
बाहर तो केवल नष्ट हो रहा।

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7 APR 2020 AT 10:24

जिसने अपने सुर्यतेज से सारा जग प्रज्वलित करवाया,
माना अधर्म के रास्ते पर ही सही,मगर मित्रता का धर्म निभाया,
जो अपने एक मित्र के खातिर अपने भाइयो संग लढ़ आया,
वो अन्गराज, वो सुर्यपुत्र, वो रश्मिरथी, वो राधेय कर्ण कहलाया.......

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11 AUG 2020 AT 18:19

नरोचित धर्म से कुछ काम तो लो !
बहुत खेले, जरा विश्राम तो लो ।
फँसे रथचक्र को जब तक निकालूँ,
धनुष धारण करूँ, प्रहरण सँभालूँ,

'रुको तब तक, चलाना बाण फिर तुम,
हरण करना, सको तो, प्राण फिर तुम ।
नही अर्जुन! शरण मैं माँगता हूँ ,
समर्थित धर्म से रण माँगता हूँ ।

'कलंकित नाम मत अपना करो तुम,
ह्रदय में ध्यान इसका भी धरो तुम ।
विजय तन की घड़ी भर की दमक है,
इसी संसार तक उसकी चमक है ।

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26 OCT 2021 AT 8:10

BEST LINES FROM "RASHMIRATHI"

जब नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है।

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23 SEP 2020 AT 12:33

रश्मिरथी से:

दान जगत का प्रकृत धर्म है, मनुज व्यर्थ डरता है,
एक रोज तो हमें स्वयं सब कुछ देना पड़ता है ।
बचते वही समय पर जो सर्वस्व दान करते हैं,
ऋतु का ज्ञान नहीं जिनको वे देकर भी मरते हैं ।

श्री रामधारी सिंह दिनकर-

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24 NOV 2018 AT 9:09


"मैं उनका आदर्श, कहीं जो व्यथा न खोल सकेंगे,
पूछेगा जग, किन्तु, पिता का नाम न बोल सकेंगे,
जिनका निखिल विश्व में कोई कहीं न अपना होगा,
मन में लिये उमंग जिन्हें चिर-काल कलपना होगा।"

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