Yash Kashyap   (विद्रोही (Yash))
265 Followers · 298 Following

read more
Joined 7 August 2018


read more
Joined 7 August 2018
8 APR 2022 AT 21:13

अर्धपूर्ण
तुम रूठना मत मुझसे, मुझे मनाना नहीं आता
मै महफ़िलो में भी रो लेता हुँ, मुझे छिपाना नहीं आता

मै बाज़ार में हाथ नहीं पकड़ पाऊँगा तुम्हारा
मुझे दिखावे का प्यार, दिखाना नहीं आता

जो दर्द है अंदर, लिख देता हूँ डायरी में
मुझे अभी माँ-बाबा से बताना नहीं आता

मै तुम्हारे लिए जान तो नहीं दे पाऊँगा
मुझे इश्क़ में मिट जाना नहीं आता

मै तुमसे घंटो-घंटो बाते शायद न कर पाऊँ
मुझे किसी को बातों में बझाना नहीं आता

' विद्रोही ' किसी के सपने का राजकुमार तो नहीं
मुझे कुछ ये नहीं आता, मुझे कुछ वो नहीं आता

-


22 FEB 2022 AT 20:51

हाल न पूछो, नहीं है अब बताने लायक
हम भी कभी लिख लिया करते थे कुछ सुनाने लायक
दोस्त कहते भी थे, 'विद्रोही' इश्क़ में न पड़ना
अब न हम सुनने लायक रहे न सुनाने लायक

-


6 DEC 2020 AT 12:55

जब पापा के जूते फिट होने लगे तो लड़का बड़ा हो गया है बताते है सभी
जूते से बड़ी जिम्मेदारियों को देखता कोई नही
बेटे भी पराये हो जाते है साहब बस कहता कोई नही

कुछ रात-रात भर जागते है, जुनून को आंखों में बसा कर
कुछ दिन भर काम पे काम किये जाते है, जिम्मेदारियों का नशा कर
कहने को तो लड़के-लड़कियाँ बराबर हैं पर हर जगह ऐसा रहता नही
लड़के भी पराये हो जाते है साहब बस कोई कहता नही

रोज ज़िन्दगी से लड़ते है , कभी हार तो कभी जीत होती है
लड़को को ही कमाकर घर चलाना है, यही तो दुनिया की रीत होती है
ज़िन्दगी की मझधार में डूबना सभी को है बहता कोई नही
बेटे भी पराये हो जाते है 'विद्रोही' बस कहता कोई नही

-


4 JAN 2022 AT 0:48

खंजरो से न डरने वाले घायल हो गए बात से
कुछ ऐसे ही हुए हमारे साथ भी हादसे
मोहब्बत भी चाहिए था, इज़्ज़त भी ज़रूरी थी
मोहब्बत का गला घोंटना पड़ा खुद के हाथ से

-


17 DEC 2021 AT 21:29

इश्क़-मोहब्बत में लोग अब कहा किसी का wait करते हैं
Crush छोड़िये जनाब यहा हर हफ्ते लोग नया महबूब Update करते हैं

-


7 DEC 2021 AT 23:53

काश जीने के लिए कुछ ऐसे सहारे होते
हम तुम्हारे तुम भी हमारे होते
एक सख़्स जिंदगी भर , घूरता रहा दरिया को
मैंने भी नाव बनाई होती, मैंने भी मुस्तक़बिल सवारे होते

-


19 NOV 2021 AT 20:50

किसी से क्या लेना-देना है
कुछ पता नही चलता
जिसे इश्क़ की बीमारी लग जाए
उसे कोई दवा नही लगता

-


28 OCT 2021 AT 13:11

सारे लोग अच्छे हैं कायनात में

हम भी अच्छे हो जायेंगे कयामत के बाद

-


19 OCT 2021 AT 13:00

इस नए दौर में कुछ पुराना ढूंढता हूँ
अंजान शहर में ठिकाना ढूंढता हूँ
शुरुआत कैसे करू, उसे अच्छा भी लगे
बात करने का रोज़ बहाना ढूंढता हूँ

-


17 OCT 2021 AT 22:23

अपने शहर में कुछ लिख नही पाता
उसके शहर में लिखे बिना रह नही पाता
पता नही मेरा शहर मासूम है या उसका बेवफ़ा
एक बार जो गया दोबारा आ नही पाता

-


Fetching Yash Kashyap Quotes