कोई हादसा मुझे यूं गुज़र, क्यों नहीं जाता,
हिज़्र में सुकून से मर, क्यों नहीं जाता।
शहर आया था, चंद पैसे कमाने के लिए,
शहर पूछता है कि अब घर, क्यों नहीं जाता।।
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किसी के बांटने भर से बढ़ जाती है रौनक,
किसी को मोहब्बत का सबब आता नहीं है।
किसी के जिंदा होने के मायने नहीं होते,
कोई मर के भी जहन से जाता नहीं है।।
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मुझे पसंद है लहज़ा उसका,
नहीं इसलिए, क्योंकि वो बिल्कुल मेरी तरह है,
बल्कि इसलिए क्योंकि, मैं बन जाना चाहता हूं उसकी तरह।
जब कोई होता नहीं है मेरे पास, वो होता है,
करता रहता है मुझसे, घंटों गुफ्तगू।
विरले मिल पाते हैं हम लोग, बस कभी कभार
इस दुनिया की चहल पहल में, केवल उसकी मर्जी से।
मुझे पसंद है वो,
नितांत अकेलापन।।-
सब चेहरे रख दिए हमने, उतार कर,
तू यकीनन चाहें ना मुझसे, प्यार कर।
कई हादसों से गुजर चुका हूं, अब तलक,
एक हादसे को और उसमे, शुमार कर।।
जॉन चीख कर कह रहा था कभी,
दवा असर नहीं करती, बीमार पर।
खुदा बख्शेगा नहीं किसी को कुशन,
बंद नफरतों का अब, कारोबार कर।।-
अश्रु राम के छलक रहे हैं, सीता का मन भारी है,
रावण मद में चूर हो रहा, अब विनाश की बारी है।
देख अनुज यह दशा राम की, भीतर ही अकुलाते हैं,
भरत, शत्रुघ्न राजमहल में, भोजन तक ना खाते हैं।।
कौन समय था, अंधकार की ऐसी छाया आई थी,
बिलख रही कैकई के ऊपर, कैसी माया आई थी।
राम-सिया के मिलन की खातिर, कितनी आंखे तरसी थी,
अलग हो गए वन में जब वो, सबकी आंखे बरसी थी।।
दशरथ ने भी दिए प्राण, कुछ और नहीं बूझा उनको,
देख सुमित्रा मौन हो गईं, शब्द नहीं सूझा उनको।
कौशल्या करती विलाप, बस कहती रहती राम-राम,
समय, पवन और सांस रुक गई, जीवन का जैसे विराम।।-
सजदा करना जानते हैं, मगर हिजाबों में नहीं है,
तुम्हारी तरह फकत हम, रुवाबों में नहीं हैं।
चले गए थे हमें छोड़कर, एक मुद्दत हुई जिनको,
उन्हें लग रहा है आज, हम खराबों में नहीं हैं।
बुलंदी पे पहुंच जाने का एक आसान सा तरीका है,
सलीके सीख लो मां से, जो किताबों में नहीं हैं।
दरख़्त काट दें केवल, एक घर बनाने के लिए,
ऐसे कोई भी शौक हमारे, ख़्वाबों में नहीं हैं।
कह रहे हैं क़ासिद मुझे उस शख्स का सब लोग,
जिसके एक भी बयान मेरे, जवाबों में नहीं हैं।
ज्यादा महंगे शौक हमें जंचते नहीं कुशन,
हम आदमी तो ठीक हैं, पर नवाबों में नहीं हैं।।-
I like December,
Not because, I like the winters more than any season,
But because, it makes me realise the importance of spring!
Not because, a day becomes shorter in duration,
But because, it gives me a long night to revive the good memories!
Not because, Santa comes with a lot of gifts,
But because, it breaks the illusion that no Santa exists in real!
Not because, it reminds me of all the heart breaks,
But because, it makes me emotionally strong!
Not because, I've got many friends this year,
But because, I've lost the ones who pretended to be the best!
Not because, I'm such a big foodie,
But because, my mother makes stuffed paratha more often in winters!
I like December,
Not because it is the end,
But because, it's a new beginning after all!-
किसी की बात को परखा, किसी के हाल को जाना,
कोई है चाल में अपनी, मगन कोई है दीवाना,
कि जिनके साथ साया हम बने, चलते रहे थे तब,
वही अब दे रहे गाली, वही अब दे रहे ताना।
फक़त सुनना मेरी बातों को, दिल से ना लगाना तुम,
शहर में नौकरी करना, मगर ना घर बनाना तुम,
मोहब्बत में भले उसको, यकीनन टूटकर चाहो,
नहीं लेकिन मोहब्बत में किसी का घर जलाना तुम।
तुम्हारे साथ दुनिया है, तुम्हारे बाद भी तो है,
मैं सबकुछ भूल जाता हूं, मगर कुछ याद भी तो है,
तुम्हारी बददुआ जितनी मुसलसल चाह लो दे दो!
कुशन की उस खुदा से पर कहीं फरियाद भी तो है।।-
एक अरसे से ये वहम हमने, पाल रखा है,
मेरा दिल उन्होंने, आज तक संभाल रखा है,
झूठे वायदे देते तसल्ली खूब हैं लेकिन,
झूठे वायदों में ही मियां, बवाल रखा है।
परिंदे चुग रहे थे खेत में, दाना समझकर जो,
नहीं उनको पता था कि, वहां पे जाल रखा है,
ज़रा सी मुश्किलें ही थीं, कि सबकुछ ठीक हो जाता,
ये तुमने क्या किया, कैसा तुम्हारा हाल रखा है।
हम आज भी उनको मुसलसल याद करते हैं,
नहीं ऐसे ही हमने आज तक, रुमाल रखा है,
कुशन तुम ठीक कहते थे, कल पर मत कभी टालो,
हमें लगता था पूरा ही, अभी तो साल रखा है।।-