QUOTES ON #POLITICSININDIA

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29 JUN 2021 AT 21:17

ना हमको वो तारों का संसार चाहिये
ना जीत ना हमको कोई हार चाहिए

चाहिए ना हमको ये फेंके हुये टुकड़े
वजीर-ए-आला हमे रोज़गार चाहिये

हिन्दू मुस्लिम सियासत तुम्हे मुबारक
हमको तो एक दूजे का प्यार चाहिए

मन की बात तुम्हारी नाहक़ ही रही
सच कहने वाला कोई इस्तेहार चाहिये

अहल-ए-दिल की है हमे जरूरत अब
ना हमें तुम जैसा दिल-ए-बीमार चाहिए

फ़िजूल के कानून का हम करेंगे क्या
हमको अमन सुकून-ओ-बहार चाहिए

गर तुम्हे अपनी मनमानी ही करनी है
तो हमको तुम्हारी ना ये सरकार चाहिये

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16 JUN 2020 AT 23:42

'दीपक' अभी जला ही था
उसकी चिता जला दी गयी
कारण कहा 'निराशा' को
उसकी हँसी भुला दी गयी

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10 SEP 2020 AT 16:52

जान किसी ने गवाही ,राजनीतिक कोई करें ।
गुना किसी ने किया, हरजाना कोई और भरे।

मुझे बताओ आखिर, ये कब तक चलेगा।
देश को किनारे रखकर ,सब अपना पेट भरेगा।।

अब तक तो एक पार्टी ही, दूसरी पार्टी से लड़ती थी,
अब क्या बॉलीवुड भी इस कीचड़ में कदम रखेगा?

अब बस भी करो, जनता को न मारो।
वेसै ही परेशान है कोरोना से अब उसको ना ललकारों।।

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21 MAY 2020 AT 21:02

इस शहर के अंदाज अजब देखे है यारों ,
गुंगो से कहा जाता है, बहरों को पुकारो..!

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9 SEP 2020 AT 9:38

अर्ज क्या हैं,

रेल्वे, कारखाना, एयरपोर्ट , खदान क्या क्या हैं ।
मैं सत्ता मे हु , बता अरमान क्या क्या हैं।
बेच रहा हु इस देश का तिनका तिनका ।
बता और् कीमती सामान क्या क्या हैं।

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15 AUG 2020 AT 22:22

मोहताज हो गई है देशभक्ति भी हमारी चंद तारीखों की,
जागती है ये बस कुछ खास कार्यक्रमो से,
बाकी दिनों में चाहे भले ही मर जाए सब,
ग़रीबी,भुखमरी और बेरोज़गारी से,
गर वाकई दिखानी है देशभक्ति तो हर रोज़ दिखाओ,
छोड़ते क्यों हो तुम हर बात सरकार पे,
कुछ कार्यों का बीड़ा तुम खुद भी उठाओ,
पर इतना सब हमने गर जो कर दिया,
तो शायद देश का विकास हो जाएगा,
और देश के कुछ तथाकथित लोगो का दायित्व जो छिन जाएगा,
उठेंगे कल फिर हम और कोसेंगे नेहरू को इसके लिए,
अब ज़िम्मेदारियों का बोझ है कहीं तो सरकाना पड़ेगा।

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7 JUN 2021 AT 10:26

👉पैसा और राजनीति, दो ऐसे काले हाथ🤝
इनसे सच्चाई पे होता हर बार घात
आगे इनके झूठी बन जाती हर सच्ची बात...

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9 MAR 2020 AT 15:13

तरफ दर तरफ बिछी है खामाेशी
जमीन से फलक तक है खामाेशी

मैं ताे हवाआें की भीड़ में मगन हूँ
आैर मुझे तलाशती हुई है खामाेशी

हाे गया हूँ मनादिर के बूत सा कहीं
जब मिली मुझकाे तेरी है खामाेशी

हर शय में अपनी बर्बादी का शाेर है
ना उफन में वाे चिखती है खामाेशी

लालच की उलझन में लिपट कर
अखबार की राेती हुई है खामाेशी

वक्त काे बर्बाद न कर जाये "नाहिद"
इंकलाबी इस दाैर में भी है खामाेशी

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20 SEP 2021 AT 12:08

ख़राबी है अगर औज़ार में तो औज़ार बदले जाएं
ये भी भला है बात कोई कि सहसवार बदले जाएं

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18 SEP 2019 AT 23:20

की वो कहते थे ,
अच्छे दिन आएंगे,
अच्छे दिन आएंगे,
और तुम चली गयी।।

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