आपके "TWEET" की आदत लग चुकी है साहेब
हादसों पे "TWEET" ना कर के यूँ जिगर ना जलाइए-
"मैंने देखें हैं, सड़कों के किनारे,
भूख़ से बिलखते बच्चे,
कुत्तों के मुँह से रोटी का निवाला छीनते बच्चे,
नन्हें मासूम हाथों को भीख़ के लिए फ़ैलाते बच्चे;
कूड़े के ढ़ेर में रोटी ढूंढते एक साथ,
कुत्ते और मासूम बच्चे....!!"
एक कटाक्ष !!
दिल को छुए तो शब्दों में बयां करे ।।
आओ मिलकर कुछ करें
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By "Ache Din" we meant a lot of aches are coming your way. ~PMO India.
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Jidhar se Aaye ho udhar kiu nahi jaate..
Tum laut kar Apne Ghar kiu nahi jaate..
Acche Din Aa gaye Sabhi k sab kah rhe.
Phir waapis Gujraat Laut kiu nahi jaate.
Phir wohi faqiri wale din suhane honge
Le kar ketli chai chai chillane kiu nahi jaate.
Tumse hoga dobara tum kar sakte ho.
Apne Kaam par wapis lout kiu nhi jaate.
Jidhar se Aaye ho udhar kiu nahi jaate..-
Dear
बुद्धिमान जनता जो लोग अब भी घरों
से बाहर निकाल रहे हो कृपया घरों में
ही रहे अन्यथा भारत सरकार को
नेशनल इमरजेंसी लगानी पड़ेगी और
article 19 revoke कर लिया जाएगा
और आप कुछ भी नहीं कर पाएंगे.
मंदिरों में मस्जिदों में जाना नवरात्रि
मनाना अगले साल भी हो जाएगा....
कृपया घरों के अंदर ही रहे व गरिबों की
थोड़ी आर्थिक मदद भी करें 🙏🙏🙏-
"मैं हूं मोदी"
युवाओं का हौसला हूँ,
मैं नित नई आस हूं,
मैं रोज हर रोज देश के पास हूँ,
मैं निरंतर निर्माण हूँ,
मैं युवाओं का एक साहस हूँ,
मैं कोई नहीं मैं मोदी हूं।
वर्तमान का अमर गांधी हूं,
तूफानों को टक्कर देने वाली आंधी हूँ,
जग में एक नई क्रांति हूं,
मानवता की शांति हूँ,
आंतक के लिए अशांति हूँ,
मानवता की मैं एक ज्योति हूं,
मैं कोई नहीं मैं मोदी हूं।
राजनीति में शान हूं,
देश का किसान हूं,
सीमा पर सिपाही हूं,
जीत न सके कोई मुझे ऐसी लड़ाई हूँ,
"पारासरिया" की कविताओं की शान हूं,
देश का सम्मान हूँ,
भारती की ममता की गोदी हूँ,
मैं और कोई नहीं मैं मोदी हूं।-
Ram Mandir (Temple) issue has become a football earlier political parties played game and now Supreme Court of India playing game with Ram Mandir by kicking date on date on date on date..... but not passing the ball to make a goal on any of the two posts. Time please.
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आओ फिर से दीया जलाएं
भरी दुपहरी में अंधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें
बुझी हुई बाती सुलगाएं
आओ फिर से दीया जलाएं-
हम एग्रीकल्चर से बीएससी , बीटेक करके दूसरे का नौकर बनना पसंद करते हैं .
पर क्या हम खुद खेती करके अपने देश और समाज में अच्छा योगदान नहीं दे सकते ..
सोचिए और जवाब दीजिए...-