मेघ निरंतर अग्रसरित है , जैसे जीवन होता है
रुक जाना ना इसने सीखा , जीवन मेघ सा होता है
कहीं पे काली बदरी होती , कहीं धवल सा होता मेघ
ऐसे ही तो जीवन में भी , स्याह-धवल सुख-दु:ख अनेक
कभी गिराए छुट-पुट बूंदें , भीषण बारिश कभी करे
जीवन में जो पल हैं आते , मेघ-सदृश ही भाव भरे
कभी लगे कि क्या कर जाऊं , कभी शिथिलता आती है
मेघ जैसे बदले स्थिति , क्षण क्षण भिन्नता आती है
किन्तु मेघ से सीखा मैंने , हर पल चलते रहना है
प्रेम हो या हो वेदना , प्रति पल हंसते रहना है
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