अपना जीने का अंदाज़ कुछ निराला है
हर वक़्त के मुताबिक़ ख़ुद को ढाला है
जीना हो तो बस ये सोच कर ए दोस्तों
ये आख़री दिन है जो ख़ुदा ने दे डाला है
सफ़र हो मीलों का तो ख़ौफ़ज़दा न होना
मंज़िल मिलेगी जब पैर में आता छाला है
हर उम्मीद पर उतरना खरा वालिदैन की
न जाने कितनी मुश्किलों से तुम्हें पाला है
जो नाउम्मीदी सताने लगे और कदम बहके
कभी न समझना मुसीबतों का हल हाला है
ग़मों में भी करे तलाश जो ख़ुशी के लम्हें
"मीना" कहे वही असल में हिम्मतवाला है-
◆◆◆मतवाला◆◆◆
स्तब्ध सड़क पर मैंने उस रात, जाते उसको देखा था।
क्षीण-हीन, अलसाई रात में, चला जारहा अकेला था।
दुख को खुशी से खुशी में छुपाये,खुशी का वो मेला था।
बनकर मस्त-मौला-फकीरा, कितने! ग़मो को झेला था।
दिखा रहा था पथ जीवन का, विपत्तियों का बस रेला था।
ठिठका! जो वो मर गया, चला जो जीवन को खेला था।
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सबसे आगे जाने की होड़ में
मतवाला सा भागता रहा तू
शिथिल हुआ तन जब ,बोध हुआ
पैरों तले कुचले हुए अपने ही
सपनों का शव था.....
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एक तरफ़ा प्यार की ताक़त भी एक अलग ही जुनून भरी होती है ,
जिसे प्यार किया वो प्यार करे ना करे लेकिन इसी एक तरफ़ा प्यार के जुनून में वो आशिक़ वो कर जाता है जो कोई चाहकर भी करने का दम नहीं रखता और वैसे भी औरों के प्यार भरे रिश्तों की तरह ये दो लोगों में नहीं बटती ,
किसी मतवाले का ही हक़ होता है इस पे ।-
Leke haath me pyali sarab ki,
Poore Maikhane ki pyas bhujane chala,
Thoda pyar me unhone loota hme aur thoda mai khuda lutaane chala.
Pagal kehete hai duniya wale mujhe,
1 baar dhokha khaa k baad,
firse dil lagane chala,
Duniyawalo ka kya hai vo to kadam kadam par tokte rahenge,
Ban k matwala mai apne mukaam ko paane chala......
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तू देख तो तेरे शहर की हवा भी काली है,
ना जाने क्यों गाँव छोड़ यहाँ आने की आस पाली है,
हवा मेरे गाँव की इतनी मतवाली है,
लहराता है हर पत्ता, झूमती हर डाली है।-
अब मिलकर चलकर दोनों,
हर तूफा से लडेंगे.....
आ मिल जा नादान,गर्दिश में,
तारे स्वयं जड़ेंगे.......-
लेना देना तो रीत है ज़माने की,
ओर में ठहरा फ़क़ीर मतवाला,
ख़ाली झोली में मेरे बंद है लिफ़ाफ़े,
पाने को उन्हें तुम कुछ तो डालो दाने ।
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bedaag sa hai rang yeh kala
mgr sab rangon se hai nirala,,
pehn ke jisko nikhre rang roop
sab ko bhaye yeh hai bda hi matwala......-