Dr. Vijay Siwach   (Vijay Siwach)
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Joined 8 March 2021


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Joined 8 March 2021
14 SEP AT 15:44

साथ बैठ,
मै फिर तुम्हारी आंखों को देखूंगा,
तूम पूछोगे क्या देख रहे हो,
मेरा जवाब ना पाकर, मुस्कान देख,
घबराओगे, आंखे चूराओगे,
बात बदलने को, हालात बदलने को,
कोई और बात चलाओगे,
मै अडिग एकटक देखता जो रहूंगा,
शर्माकर कोई काम करने लग जाओगे,
बीच बीच मे देखोगे और जब
मुझे भी तुम्हे देखता ही पाओगे,
तकिया उठाओगे, मेरी तरफ फेंक कर
कहोगे बस अब,
आएगा तो नही, पर चेहरे पर
थोड़ा गुस्सा दिखाओगे,
मै कहूंगा अच्छी लग रही हो,
फिर मुस्कुराओगे,
मै कहूंगा आज दोस्तों के साथ मुझे बाहर जाना है,
शायद मान जाओगे ।।🤭

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6 SEP AT 0:42

अच्छा तो तुम्हारा जन्मदिन है,
फिर बताओ कैसे ये कटा दिन मेरे बिन है ।

पर पहले तो अपने मात पिता को मेरा धन्यवाद देना,
मुझे जवाब देने से पहले उनका आशीर्वाद लेना ।।

मैने बहुतों से पूछा की इस दिन
क्या दिया जाए या क्या किया जाए,

किसी ने कहा भेज दो गुलाब और चोकोलेट सजाकर,
किसी ने कहा भेज दो तस्वीर बनाकर,
और भी बहुत से सुझाव आए,
पर मै भला प्रेम में, मुझे तो यही भाये,
की कुछ लिखकर अधूरा छोड़ दिया जाए ।।

तुम अधूरे को पूरा करती रहो, मै गलत बताता रहूं,
और फिर कुछ यूं भी, .................................।।

अच्छा तो तुम्हारा जन्मदिन है,
फिर बताओ कैसे ये कटा दिन मेरे बिन है ।।

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1 SEP AT 8:14

देखो अगर तुम मुझे अपना समझने में देर करोगे,
मै भी तुम्हारा होकर तुमसे दूर होता चला जाऊंगा ।।

और कह पाऊंगा

की, यूं तो जाने दे राहगीर जो तमन्ना नहीं,
वो फिर मिले भी नहीं तो शिकायत कैसी ।।

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20 AUG AT 7:49

अब उसके बिन कहां ये मन और कहीं लगता है,
आसपास ही रहती है जैसे, हरपल तो यही लगता है,
हां उसको तो ये लगता है कि मुझे काबू मे रख लेगी,
पर मुझे तो लगता है, उसको ये बिल्कुल सही लगता है ।।

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15 AUG AT 2:47

शायद मिल जाने के बाद,
ध्यान नहीं रहता की पास है,
और जब प्रयास किसी और का हो,
और मिल आप को जाए,
तब तो और ध्यान नहीं रहता की पास है,
और वो शब्द भी फिर अपना पूर्ण अर्थ नहीं बता पाते,
जैसे विजय, जीवन, विवाह, या स्वतंत्रता ।।

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8 JUL AT 7:31

पूछना जो चाहते हो,
वो सवाल भी मिल जाएगा,
खोलोगे अगर वो पूरानी किताब,
तो मेरा गुलाब भी मिल जाएगा,
इंतजार मे सूख तो गया होगा,
पर टूटा नहीं होगा,
बात को समझोगे तो जनाब,
जवाब भी मिल जाएगा ।।

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4 JUL AT 3:46

ये किसके लिए लिखा था ?,
हर बार की शिकायत है,
मुझ पर तो कभी लिखते नहीं !
मुझसे मेरे यार की शिकायत है ।।

आपकी हर खूबी हर बात नजाकत के साथ लिखते,
ना दिन में आराम करते, बिना थके पूरी रात लिखते,
बहके से इस मन के अब क्या ही खयालात लिखते,
तुम्हें सोचकर जो होश में रहते तो ना कोई बात लिखते ।।

ये किसके लिए लिखा था ?
ये जो तुम्हारी हर बार की शिकायत है,
मै तो उलझन में समझ बैठा हूं की
इंतजार की शिकायत है,
इकरार की शिकायत है,
शायद प्यार की शिकायत है ।।

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25 JUN AT 16:02

तूम खत लिखो हम जवाब देगें,
बहलाने के लिए ना गुलाब देगें,

जो दूर होने का मलाल एक खत में लिख पाए,
हम मलालो से भरी एक किताब देंगे,

जिस मन लागे, वो मन जाने,
हम भी अपनी व्याकुलता का हिसाब देगें,
तूम खत लिखो हम जवाब देगें ।।

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24 JUN AT 16:48

मर्म, शर्म और ये बेचैनी, है कैसी कशमकश साहब,
बातों पर हो भी जाए, मन पर किसका बस साहब ।

मिलते नहीं कभी मिलकर भी,
कभी मिल लेते हैं ना मिलकर भी,
और भी बताने लगे हैं,
कि दिखते हो बड़े खुश साहब ।

अब क्या कहें क्या ना कहें हो जाते हैं बेबस साहब,
बातों पर हो भी जाए, मन पर किसका बस साहब ।।

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8 MAY AT 14:23

रास्ते तुम्हें चुन रहे हैं या तुम रास्तों को,
शामिल इसी में है
भगवान का होना ना होना ।।

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