जब आते वो छत के ऊपर,
वो शाम सुहानी ना भूले .....
बतियाते जब वो खुश होकर ,
वो बात पुरानी ना भूले......
चंचल वो मिले थे ना भूले ,
एनक नीले थे ना भूले ,
कभी कभी वो करते बातें ,
नैनो से जो छिप छिप कर......
हम सारे जग को भूल गए ,
वो नैन कटिले ना भूले ................-
जो दूर किनारे है पड़ी ,
उनको मितवा संभाल ज़रा......
जो ज़ंग से है भरी पड़ी ,
उन तलवारों को मांज ज़रा.........
तू है रणभूमि का नायक,
तलवार उठा और बाँध कवच,
खुद अपने को पहचान ज़रा.........
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" मतवाले तेरा निर्माण ,तू चाहेगा तभी होगा.....
ना कल हुआ था ,ना कल होगा ,
वो नवनिर्माण ,अभी होगा........''-
तू पहली बारिश मौसम कि,
तू हि प्रेम कि रीत प्रिये.......…
तू चन्दन है, मैं पीपल हूँ ,
कैसी लगी ये प्रीत प्रिये.........-
मैं माला हूँ तुम हार प्रिये.......
मैं खाली वीणा हूँ बस ,
तुम वीणा के तार प्रिये....
मैं ऋण हूँ ,और तुम धन हो,
यूँ दूर जाना बेकार प्रिये.......-
तस्वीर ज़रा सी धुन्धलि है,
ये ना पूछो किसकी है.....
बता नहीं पाऊं शायद,
तुम समझे बस उसकी है..........-
अगर.....
आशायें तेरी तेरे साथ है,
तो क्यों मन को भाटकये है,
मतवाले,क्यों घबराये है.......
तेरा दुखड़ा भी जाएगा ,
फिर नया सवेरा आएगा......
पल मे कट जानी रात है,
ये एक रात हंसके सहले ,
बस एक रात कि बात है.....-
अब मिलकर चलकर दोनों,
हर तूफा से लडेंगे.....
आ मिल जा नादान,गर्दिश में,
तारे स्वयं जड़ेंगे.......-
गर चाँद दिखे सोणा नभ मैं,
तो रात बन जाए......
दिन में दिखे तेरा सोणा मुखड़ा,
बात बन जाए........-
उन्हें मुझसे कुछ काम था,
पर मैं उनसे मिलने को बीमार था...
घड़ी देखते-देखते घड़ियां बीत गई ,
पर वो घड़ी ना आई ,
जिसका हमें इंतजार था...........-