मृत्यु ही हल है इस शरीर से छूटने का , कर्म तो आत्मा भोगने के लिए नया शरीर ढूंढ ही लेगी , क्योंकि कर्म के चक्र से छूटना नामुमकिन सा ही है कर्म भोगते हुए कब नए कर्म बन जाएं किसे पता इसलिए ये सोचना की कर्म से मुक्त हो जाएं वो भी इन्द्रियों को वश में या संतुलन में ना रखकर असंभव है ,यही कहूंगा कर्मों से मुक्त होना चाहते हो तो इन्द्रियों को संतुलन में लाने का प्रयास करो शायद नए कर्म बनने से रह जाएं और तुम आत्मा एक परिंदे की भांति उड़ सको और समा जाओ उस पुरषोत्तम के हृदय में ।।
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मृत्यु ही हल है इस शरीर से छूटने का , कर्म तो आत्मा भोगने के लिए नया शरीर ढूंढ ही लेगी , क्योंकि कर्म के चक्र से छूटना नामुमकिन सा ही है कर्म भोगते हुए कब नए कर्म बन जाएं किसे पता इसलिए ये सोचना की कर्म से मुक्त हो जाएं वो भी इन्द्रियों को वश में या संतुलन में ना रखकर असंभव है ,यही कहूंगा कर्मों से मुक्त होना चाहते हो तो इन्द्रियों को संतुलन में लाने का प्रयास करो शायद नए कर्म बनने से रह जाएं और तुम आत्मा एक परिंदे की भांति उड़ सको और समा जाओ उस पुरषोत्तम के हृदय में ।।
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कभी शमशान जाओ तो ये जरूर देखना , जो ख्वाब तुम्हें सोने नहीं देते थे जगाए रखते थे जिन ख्वाबों के पीछे तुमने अपना सब कुछ गंवा दिया, जिसके साथ ये जीवन सुकून से जीया जा सकता था जिसे रोंधकर तुम ख्वाबों की पूर्ति हेतु भागदौड़ में लगे रहे वही ख्वाब चाहे वो हुस्न, जवानी, शराब, अभिमान, नफरतें, समाज , दौलत , शौहरत , ईर्ष्या, छल,तरक्की, लड़ाई और झगड़े इत्यादि सबको चिता के साथ जलते मिट्टी होते देखना , फिर तुम जान पाओगे सब नाटक का हिस्सा था , ए इंसान अब भी देर नहीं हुई वक्त रहते संभल जा ।।
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अकसर कहते सुना है हर किसी को की वो बीते लम्हें खुशगुजार थे या यूं कहें की ज्यादातर लोग अतीत में ही रह जाते हैं या अतीत के ही जीवन को दोबारा जीने की लालसा उन्हें वर्तमान का आनंद नहीं लेने देती , कोई माने या ना माने अतीत लौटकर नहीं आता और ना ही कभी आएगा , हमारा आज का जीवन हमारे अतीत से प्रभावित है , अगर हम अच्छे और सफल भविष्य की कामना करते हैं तो हमें वर्तमान में जो हमारे पास है उसका आनन्द लेना होगा और भविष्य में बेहतर परिणाम देखने हेतु अपने आज के कर्म को पूरी लगन और ईमानदारी से करना होगा ।।
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इस दुनिया में ज्यादातर लोग अतीत के पीछे भागते नहीं थकते या यूं कह लें कि अतीत की ही यादों में गुम उनका मन वहीं ठहर जाता है क्यूंकि उन्हें अतीत ही जीवन का सार जान पड़ता है अगर देखा जाए तो अतीत सबका होता है पर उस अतीत के आगे बहुत ही कम लोग देख पाते हैं और जो इस अतीत के आगे देखना सीख गया या जान गया वो जीवन के अस्तित्व को समझ गया ।।
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इन्सान लाख कोशिशें करता है सुकून पाने की ,लेकिन सुकून है तब जब पाने की ईच्छा ही ना रह जाए , ये तभी संभव है जब मन ठहर जाए या यूं कहें आत्मा से मैत्री कर ले , अपने मूल तत्त्व को समझ ले ,वो अद्वित्य है, कुछ भी पाना या खोना सिर्फ एक क्रम है जीवन को आगे की और बढ़ाने का , जब ये समझ जाता है तो परम सत्ता को प्राप्त होना संभव प्रतीत होता है ।।
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Eh Jag taan Jeoondeaan De Mele ne Sajna ,Jithe marzi mathe tek lo jehre chale Gaye jaahano , Oh Waapis Nahin Milde...
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वासना को आजकल एक अवगुण के रुप में देखा जाता है पर ये संसार भूल जाता है की मोह रुपी वासना ने ही संसार को एक दूसरे से बांधे रखा है ।
फिर वासना अवगुण कैसे ।।-
ये संसार ना जाने क्यूं घबराता है अंत से
वास्तविक सत्य तो ये है की अंत से ही प्रारम्भ है
जीवन की नई यात्रा का ।
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जो इस दुनिया मे रहते हुए अपने अस्तित्व यानी अपनी आत्मा को ही भूल बैठे हैं वो इस दुनिया इस शरीर और और इस जिंदगी पर विजय पाने के लिए कुछ ऐसा भी कर जाते हैं जिससे वो कर्म के चक्रव्यूह में उलझ जाते हैं और जिंदगी का सफ़र कभी भी एक जैसा नहीं रहता ये हर दिन एक नई परीक्षा लेकर आता है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की आप जीते या हारे बस ये जरूरी है की आप अपने कर्म के प्रति जागृत थे ।।
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