तुम्हारी चौखट लांघी है जबसे
हर रंग में हुई सराबोर
जीवन की आपाधापी में थामी
तुम्हारी हथेलियाँ कसके
चखे स्वाद नवरस के
नहीं पड़ने दी पपड़ी दीवारों पर
नवरस के बीहड़ मेंअटके मन पर।-
लगातार बड़बड़ करती औरतें
बिल्कुल चुप हो जाती हैं
जब तुमसे उनकी सारी अपेक्षाएँ
दम तोड़ जाती हैं....-
की हर्दिक शुभकामनाएं !
तिल और गुड़ की मिठास घुल जाए तनमन में
सुख समृद्धि सहित पधारो नववर्ष जीवन में!-
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं...
गुरुवे नमः
कृतज्ञ हूँ इस आत्मा को अपना मंदिर बनाया
इस अकिंचन को गले से लगाया
इस बुलबुले को सागर बनाया
अब मौन न रह पर्दे हटा रहस्यों से
मेरी शून्य गुफा में प्रकाश भर !
जागृति की सर्पिल सीढ़ियों पर
तुम बिन मुझे चढ़ना न आया
गहि बांह मेरी जिस क्षण से तूने
उदित हुआ सत्य दूर हुई माया !
तेरे दिव्य प्रेम से आलोकित
मेरी हर श्वांस तुझसे सुवासित
मेरी ह्रदय वेदी जिसमें तू है समाया
आह्लादित हूँ ,गुरुदेव जबसे तुमको है पाया !
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सौदागर
नकली रेमिडीसीवीर के सौदागर ।
बचा न पाए तुम उसके प्राण ,
जिसके लिये भरी थीं संदूकें तुमने
जहरीले सोने के सिक्कों से ।
उसकी हथेली की ऊष्मा भी
महसूस न कर सके तुम
अंतिम यात्रा पर जाती उसकी नफरत भरी आँखे
सोने नहीं देतीं तुमको
और उसकी गूंजती आवाज
मनुष्य बन जाओ...
तुम्हें भूलती नहीं ....
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