सेहरी की लज़्ज़त से इफ्तार की भूख तलक,
हरेक ख्वाहिशात को मारना ही तो रोज़ा है।।
ये किसने कहा भूखा रहना और पड़े रहना,
मशक्कतें कर बर्दाश्त करना ही तो रोज़ा है।-
कुछ-कुछ टूट कर जुड़ा था मैं
जुड़ कर कुछ-कुछ टूटना बाकी है,
मेरी क्या औकात है ज़िन्दगी तेरे सामने
तेरे ही हुक़्म पर यहाँ मशक्कतें जारी है!
#PoolofPoems-
तेरी आँखों में उलझे तो फिर निकले ही नहीं!
और निकले बड़ी मशक्कत से,तो मेरी आखों में तुम थे!!-
लिखने की मशक्कत में इश्क को,
ये कलम भी मुझसे उसकी ही अदा में रूठ जाती है....-
जब इंसान रोज़ की जिंदगी में होता है मशगूल
तब दिमाग़ के धागे खीचें होते हैं या हो जाते हैं भूल
बड़ी मशक्कत से उनमें मोड़ लाने होते हैं हुजूर
तब शायरी के लिए जनाब, सोच जानी होती है दूर-
【。 कोशिशें。】
अकसर कोशिशें कामयाब होती हैं,
मंजिल पाने के जूनून से जिद का माहौल तो बनाओ,
मंजिल कि मुश्किलेंं भी आसान होती हैं,
इरादों को पत्थर की लकीर तो बनाओ,
नये तजुर्बे भी सीखने का वक्त मिलता है,
हर दफा वक्त का इस्तेमाल सही मायने में कर लो,
मशक्कत कभी नाकाम नहीं जाती है,
मशक्कत कि वजह को दिल से मेहसूस तो करो,
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Haare nahi hain hum, abhi ummeid khatm nahi ki hai,
Takra sako toh aazma lo ke humne bhi mashakkat kam nahi ki hai.-
Kabhi kabhi hum sach much
thak jaate hain.....halanki
humne na to zehni mashakkat
ki hoti or na hi jismani ......
Apna hi wajuud hume
bojh sa lagne lagta hai.....-