हनुमान मगन
(पूरी कविता कैप्शन में)-
कुछ लिखने का भी मकसद होना चाहिये
कलम की धार बहुत तेज है ... read more
भंग उमंग तरंग फागुनी
ढोल मृदंग बिहाग रागिनी
नीले पीले हरे जामुनी
बिखरे रंग गगन तल में
होली के पावन पल में
जले द्वेष दुर्भाव चिता में
शुद्ध हृदय मन भाव सखामय
भीगे देह मनःअंतस्थल
धरती के नव प्रांगण में
होली के पावन पल में-
चिताभस्म शिव लेप तुम्हारे
भाते तुमको भांग गरल
हिम पर्वत शमशान भ्रमण पथ
सज्जा अहि शशि सरि-अविरल
अहंकार मद मोह न माया
वट सम दिव्य अलौकिक काया
निश्छल मनःस्वरूप सरल
तत्पर जगहित शुभ मंगल
महाकाल आग्नेय त्रिलोचन
नटराजन डम डमरू गर्जन
डांवाडोल जगत हलचल
आंदोलित हो नभ जल थल
हे शंकर हे अवढर दानी
कृपा करो महादेव भवानी
कष्ट हरो हों काज सुफल
पावन हो मन अंतस्तल 🙏-
❇️🌷 शुभम् कुरु गणपति गणनायक 🌷❇️
❇️🌷 भव नववर्ष प्रहर्ष प्रदायक 🌷❇️
❇️🌷 साधन साध्य साधना प्रेरक 🌷❇️
❇️🌷 उन्नति पथ उन्मुख उत्प्रेरक 🌷❇️
❇️🌷 विषय विषाद विकार निवारक 🌷❇️
❇️🌷 स्वास्थ्य सिद्धि सत्संग विचारक🌷❇️
❇️🌷 प्रकृति प्रकृति हो परम पवीत 🌷❇️
❇️🌷 विसरित चहुँ दिस सुर संगीत 🌷❇️
❇️🌷 शुभ-आगमन नया शुभ साल 🌷❇️
❇️🌷 शुभ मंगल सब हो खुशहाल 🌷❇️
❇️❤️ नूतन वर्ष 2024 मंगलमय हो ❤️❇️
🌷🍁संजय गुप्त🍁🌷-