I̊m̊r̊ån̊ K̊h̊ån̊J̊o̊ẙa   (इंसान)
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Joined 17 February 2020


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DP




Reality










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मेरे लिखे लफ्ज़ गुनगुनाओगी क्या?
अपने सारे ग़म भूल जाओगी क्या?
कभी मिल गए हम किसी रस्ते पर,
देख कर हमको मुस्कुराओगी क्या?

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सहज सुलभ सुगम सरलता से परिपूर्ण।
ये हमारी हिंदी भाषा सुंदरता से परिपूर्ण।

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चाँद से कहो ज़रा अपनी हद में रहे,
मेरा महबूब नक़ाब उठाए बैठा है!!

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कोई चाहकर भी हिल डुल न सके,
नैन उसके जैसे सज़ाए काला पानी!

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दफ़अतन 90s के गाने गुनगुनाती है।
वो अकेले में मेरी बातों पे मुस्कुराती है।

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होठों पर मुस्कान लिए यूं दूर खड़ी हो!
अदाओं से जान मेरी लेने पे अड़ी हो!
पास आ कर मुझसे नक़ाब ले लिया है,
किस तरह छेड़ती मुझे चालाक बड़ी हो!

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मुनफरीद अंदाज़ yq की अंजुमन में है।
वहीं बयां करती हैं वो जो कि मन में है।
हर तहरीर में जिसके है मां का ही अंश,
मां की बाते ही दिल के हर चमन में है।

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शायरी के वो हैं जैसे कोई उस्ताद।
पढ़कर हर कोई हो जाता है शाद।
हम मुरीद हुए क़लम के जिनकी,
वो लाजवाब शायर हैं अली नौशाद।

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तहरीर में जिनके हर रंग अयाँ हुई।
हर अहसास ओ जज़्बात बयाँ हुई।
देते हैं दिल से मुबारकबाद हम उन्हें,
पैदा आज ही के दिन ग़ुल्फ़िशाँ हुई।

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