I̊m̊r̊ån̊ K̊h̊ån̊J̊o̊ẙa   (इंसान)
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Joined 17 February 2020


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Joined 17 February 2020

पग पग पर आजमाइशें और मुश्किलात,
बड़ा कठिन ज़िंदगी का सफ़र लगता है।

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चाहे कितना लगाओ मक्खन।
ड से डमरू, ढ से ढक्कन।

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जो खिलने हैं वो फूल खिल ही जाते हैं।
ज़िन्दगी में अच्छे बुरे मिल ही जाते हैं।
गुनाह हो जाए गर दबंग सर्मायादारों से,
अच्छे भले बेबाक मुंह सिल ही जाते हैं।

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ये कैसी झूठी मूठी अदावत भी मुझसे।
ख़ामोश है लहज़ा और गुस्सा भी है तारी,
और प्यार है लेकिन निहायत भी मुझसे।

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एक मीठे ख़्वाब के मानिंद है ज़िंदगी
बेदारी इसकी मौत के सिवा क्या है!

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महकती रहे ज़िन्दगी फूलों की तरह।
रोशन हो ज़िन्दगी सितारों की तरह।
मिल जाए सब कुछ जो ख्वाहिश हो।
बाकी न कोई तमन्ना न फरमाइश हो।
क्या खूब हुआ है ये आराईश का दिन।
मुबारक हो आपको पैदाइश का दिन।

Wishing you a very happy birthday 💐🎂🎂🍫🍫🥧🧁🤗

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जब ज़ुल्म हो उरूज पे तो सहना ग़लत है।
सब ठीक और चंगा है ये कहना ग़लत है।
बनाया है रब ने तुम्हें अशरफुल मख़्लूकात,
पानी की तरह एक सिम्त ही बहना ग़लत है।

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कुछ उम्मीद अपने दिल से लगाई होती।
फिरतो दुनिया ने न यूं बात बनाई होती।

रिश्ता होता हम में सिर्फ इंसानियत का,
काश के दुनिया में कभी न लड़ाई होती।

जान जाते अगर एक ही रब के बंदे हैं,
किसी बेबस ने यूं न जान गंवाई होती।

बाप देता है जिगर चीर के अपनी बेटी,
सबब दहेज़ के न बेटियां जलाई होती।

दुनिया बन जाती मिस्ले जन्नत अगर
हर 'इंसान' में नेकी और भलाई होती।

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हक़ बैअत बातिल की करले ये कैसे हो सकता था?
सर ज़ालिम के आगे झुक ले ये कैसे हो सकता था?

सब्रो इस्तेक़ामत की दुनियाको मिसाल देनी थी वरना,
एड़ी रगड़े असगर प्यासा रहले, ये कैसे हो सकता था?

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है तो अजीब लेकिन इसका कोई मलाल नहीं।
ऐसा कोई लम्हा नहीं जिसमें तेरा ख़्याल नहीं।

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