वो महफ़िल में लफ़्ज़ों को,
इस तरह सुना गए,
आजमाने बैठे थे जो,
बेहतर को बेहतरीन बता गए,-
कटेगा कैसे न जाने ये पल
जाने कैसे दिल संभलेगा हर पल
समुंदर की लहरें से हो गए है ज़ज्बात
कभी करते है ज़ोरों से हलचल
कभी गुमसुम से शांत हो जाते है कल
लगन कमजोर हुई जा रही
जो कभी बन जाती थी ढाल-
जब ठान लिया था मुक़ाम,
तो जद्दोजहद से खौफ़ कैसा,
जब तय कर लिया था सफ़र,
तो जीत पर शक कैसा,-
पहले जैसी
बात रही नहीं
रिश्ते की डोर
गुम गई कहीं
दिल की गहराई
में था कोई
टुकड़ों में कर गया वहीं-
कुछ इस तरह से...
हम साथ निभाएंगे...
कि ग़ैर भी हमसे छुप के...
हमारी मिसाल देते जाएंगे...
-आकृति पांडे-
लाएगा जीवन में खुशियां रंगीन
डट कर लड़ना सिखाएगा अब
अड़चनों से हर दिन-
अर्से हो गए
वो सुकूं की शाम हुए
जहाँ दिल बेबाक था
....बेपरवाह था
नाकामियों का खौफ नहीं
शौक मुकम्मल होना ख्वाब था
-आकृति पांडे-
•.¸💔 वादा 💔¸.•
वादा किया था हम ने,
पूरा भी किया हम ने,
वो तो तुम ही थे,
जो भूल गए अपने वादे,
छोड़ गए हमें अकेले,
-आकृति पांडे-
अपना दर्द न बांटना,
उसने ठीक समझा,
घुट घुट कर मर जाना,
उसने अपनी तक़दीर समझा,
-आकृति पांडे-
ना याद कराओ।
वो जिंदगी थकी सी।
ना एहसास दिलाओ।
वो बेबसी अतीत की।
किताब में जिंदगी की।
है अब बूंद टपकी।
सुकून की सियाही की।
पड़ने दो छीटा ख़ुशी का।
उस चेहरे पर भी।
-आकृति पांडे-