वो जिनको तुम एक पल में बेवफा, खुदगर्ज, और न जाने क्या क्या कह जाते हो ना,
वो लड़कियाँ लेकर चलती हैं अपनी आँखों में घर का मान, कंधों पर माँ बाप की आशायें, हाथों में जिम्मेदारी की छोटी सी गठरी।
और रुक जाती हैं अक्सर तुम्हारे साथ चलने से।-
कुछ ज्यादा खास नही हूँ बस,
औरों में कम खुद में ज्यादा रहती हूँ।
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गहराया हो जिनके भीतर बातों का समुंदर,
वो ज़ुबाँ से कम बोला करते हैं।-
तस्वीरें नहीं होती थी, फिर भी लोग करीब होते थे,
समय वो पहले का, कुछ और ही था।-
मुक्कमल करना उनको हर मुकाम ऐ खुदा,
हमारे कदम खींचकर जो खुद आगे आये हैं।-
शिकायत हमेशा रहेगी इन आँखों से मुझे
छलकी भी वहाँ जहाँ जरूरत ना थी,
सपने भी वो देखे जो पूरे ना हो सके,
और आज जब चाहत है कि मूँद लू इन्हें सदा को,
तो भी आज ये बगावत कर रही हैं ।
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कर बदनामी तू लाख जमाने में मेरी,
तेरे भी कर्मों का हिसाब उस खुदा के पास है।
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There is a huge difference between living and living with depression.
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जब उड़ने के लिए पंखों को फैलाओ तुम,
तो सारा बोझ कहीं जमीं पर ही छोड़ देना,
सारे अफसोस, दुःख कहीं मिट्टी पर ही बिखेर देना,
वो दुःख कहीं धरा में ही समा जायेगा,
और बह जायेगा नदियों या समुंदरों में,
भूल जाना उसे और देखकर उस गगन की ओर
तुम उड़ जाना...
शायद वो फिर से दिखे तुम्हें आसमां से नदियों के पानी में,
वो बह रहा होगाऔर तुम उससे स्वतंत्र होंगे,
देखकर उसे बस थोड़ा मुस्कुरा देना,
और अपनी उड़ान जारी रखना..
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