इश्क एक खतरा है दोस्तों, और मुझे लग रहा है मैं खतरे में हु !!!
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अजनबी, दोस्ती और फ़िर मुहब्बत
ये सब तो सिरफ हयात के डेरे है
तुझसे मिले और मिलकर बिछड़े जाना
ना जाने कितने अभी ग़मों के फेरे है
गमो की रात लम्बी होती जा रही है
ना जानें कितनी रातों बाद सवेरे है
जबसे देखा है तुमने मुस्कुरा कर हमको
तबसे सुंदर सुंदर सपने हमको घेरे है
डरते है जब कोई अपना कहता है तुम्हें
'अद्यान्त' तुझ पर हक तो सिरफ मेरे है!-
जहाँ पंखा चल रहा है वहा रस्सी भी पड़ी है
मुझे फिर खयाल आया अभी जिन्दगी बड़ी है..!!
_जुबैर अली 'ताबिश'-
और भी तो शख़्स हैं इस भीड़ में इस ज़िन्दगी में
वो मुझे ही चाहता है यार अंधा तो नहीं है
प्रशांत 'सीतापुरी'
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मै किसी कहानी का पहला लड़का था
मगर दूसरे लड़के से हार गया
और अगर मै किसी कहानी का दूसरा लड़का बना
तो मैं पहले लड़के को हारने नही दूँगा-
किसी भूखे से मत पूछो मोहब्बत किस को कहते हैं
कि तुम आँचल बिछाओगे वो दस्तर-ख़्वान समझेगा
- ज़ुबैर अली ताबिश*
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अपने इश्क़ का इज़हार तुझसे कभी भी कर सकते हैं
मगर एक तेरी सहेली है जो तेरे बगल से जाती ही नहीं-
उसने मुझे रोने कहा मैं रो पड़ा, फिर ये कहा,
"रोता हुआ जो शख्स है अपना नहीं लगता मुझे"-