Vishal Kumar Vaibhav  
0 Followers · 4 Following

Joined 10 July 2021


Joined 10 July 2021
31 OCT 2021 AT 9:48

गज़ल

तुमने कहा जो है सही ही है, मगर तोड़ा मुझे,
हां छोड़कर तूने कहीं का भी नहीं छोड़ा मुझे।

तन्हा किया तुमने मगर होनी खुशी ही चाहिए।
तेरी खुशी में भी खलल है देखकर रोता मुझे।

तुमने मुझे रोने कहा मैं रो पड़ा, फिर क्यों कहा,
"रोता हुआ जो शख्स है अपना नहीं लगता मुझे"

छोड़ी मुझे तू और फिर तुमको लगा संभल गया।
तू लौटकर आया नहीं इसका जख्म हैं गहरा मुझे।

उसके शहर में ही कहीं होता अगर मेरा मकाँ ।
मैं रो रहा हूं देखता तो रोक ही लेता मुझे।

:- विशाल कुमार वैभव

-


31 OCT 2021 AT 9:44

गज़ल

तुमने कहा जो है सही ही है, मगर तोड़ा मुझे,
हां छोड़कर तूने कहीं का भी नहीं छोड़ा मुझे।

तन्हा किया तुमने मगर होनी खुशी ही चाहिए।
तेरी खुशी में भी खलल है देखकर रोता मुझे।

तुमने मुझे रोने कहा मैं रो पड़ा, फिर क्यों कहा,
"रोता हुआ जो शख्स है अपना नहीं लगता मुझे"

छोड़ी मुझे तू और फिर तुमको लगा संभल गया।
तू लौटकर आया नहीं इसका जख्म हैं गहरा मुझे।

उसके शहर में ही कहीं होता अगर मेरा मकाँ ।
मैं रो रहा हूं देखता तो रोक ही लेता मुझे।

:- विशाल कुमार वैभव

-


12 JUL 2021 AT 21:26

उसके शहर में ही कहीं होता अगर मेरा मकाँ ।
मैं रो रहा हूं देखता तो रोक ही लेता मुझे।

-


10 JUL 2021 AT 20:19

तुमने कहा जो भी सही ही था, मगर तोड़ा मुझे,
हां छोड़कर तुमने कहीं का भी नहीं छोड़ा मुझे।

-


10 JUL 2021 AT 14:27

उसने मुझे रोने कहा मैं रो पड़ा, फिर ये कहा,
"रोता हुआ जो शख्स है अपना नहीं लगता मुझे"

-


10 JUL 2021 AT 9:28

तन्हा किया उसने मगर होनी खुशी ही चाहिए।
उसके खुशी में भी खलल है देखकर रोता मुझे।

-


Seems Vishal Kumar Vaibhav has not written any more Quotes.

Explore More Writers