सर जिसपे न झुक जाए उसे दर नहीं कहते
हर दर पे जो झुक जाए उसे सर नहीं कहते
क्या तुझको ज़माने वाले सितमगर नहीं कहते
कहते तो हैं मगर तेरे.. मुंह पर नहीं कहते
काबे में तो मुसलमान को भी कह देते हैं काफिर
मैखाने में काफ़िर को भी काफ़िर नहीं कहते
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کتنا تڑپتے ہو یار تم محبت کے لئے
کیا محبت بھی کبھی تڑپی ہے تمہارے لئے
कितना तड़पते हो यार तुम मोहब्बत के लिए
क्या मोहब्बत भी कभी तड़पी है तुम्हारे लिए-
Jashn-e-Rekhta
Normal people -
attending a festival and listen to great Urdu poets
Me -
explaining white people how to pronounce “Ghee” (from the epiglottis)-
मेरी ख़ामोश फ़ितरत को ना कमज़ोरी समझ मेरी,
अगर मैं बोल उट्ठा तो हजारों मस'अले होंगे..!!-
ये जो तेरी धड़कनें धडकतीं हैं ना,,
कभी ग़ौर करना मैं ही हूँ।।।
तौसीफ़ बलरामपुरी-
इश्क़ में हम इस क़दर बाग़ी हुवे के बग़ावत कर बैठे
हमारी मुहब्बत से इस क़दर जले लोग
जो कभी जान यार और जानिशार हुआ करते थे
कम्बख़्त वो भी हमसे अदावत कर बैठे
अदावत /दुश्मनी-
Nazre jhuki thi meri, magr bewafa to nhi the hm..,
Thodi si nadani thi meri, magr gunahgaar to nhi the hm...!-
अगर अनदेखा ही करना था तो साथ आए क्यों थे,
साथ देने मे हर्ज़ था तो बुलाये क्यों थे..-