तुम्हारे साथ चलते चलते
मुझमें बहुत बदलाव आया
तुमको पा लेने की हसरत
मुझमें मर जाती रही आहिस्ता
मुझमें जीता रहा तुम्हारे लिए प्रेम
तुमको जीतने की कामना
तुम्हारी जीत की कामना में बदली
तुम्हारे पास रहने की इच्छा
तुम्हारे साथ रहने की इच्छा में बदली
तुम्हारा हाथ पकड़ कर
बूढ़े होने की हसरत मिट गयी
और उदय हुआ
तुम्हारा मेरी यादों के साथ
बूढ़े होने की हसरत का
मेरी खुशी की वजह होना था तुमको
मग़र तुम मेरे सुकून की वजह हो गयी
तुम जीओगी मुझसे अधिक
तुम्हारा शौर्य और मेरे शब्द
तुमको तुम्हारे बाद भी जीवित रखेंगे-
तुम दूर होने कहो
मैं पास चला आऊँगा
नीरसता में बन
एहसास चला आऊँगा
कभी लगे कि
हारने वाली हो तुम
बन तुम्हारी जीत का
विश्वास चला आऊँगा-
उसको दिए थे कभी जो सारे हक़
उस से वापस छीन लिए मैंने
ज़िन्दगी ये मेरी ख़ुद की है
इसे बरबाद भी मैं ख़ुद ही करूँगा-
जिनका कोई भी नहीं होता
आख़िर किसे भाते होंगे वे लोग
जो कहीं के नहीं रहते
कहाँ जाते होंगे वे लोग
जिन्होंने सबको ही ठुकरा दिया
दुःख में लगते होंगे किसके गले
घिर जाते होंगे मुसीबत में
तो किसे बुलाते होंगे वे लोग
लोगों ने अपना बनकर जिनका दम घोंटा
क्या किसी से तकलीफ़ कह पाते होंगे वे लोग
सबसे अलग अकेले जिंदा रहते हैं जो
क्या वाकयी जिंदा रह पाते होंगे वे लोग
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ज़ख्म भरे अब ऐसी भी चाहत नहीं करता
अब मैं किसी ख़ुदा की इबादत नहीं करता
दर्द मौत तक दवा बना रहे है ख़्वाहिश यही
तभी अच्छी यादों की हिफाज़त नहीं करता
पाना तो ख़ैर अब कुछ भी नहीं चाहता
जो है सो भी पीछे छोड़ता चलूँगा
ख़्वाब जो सुखन छीन ले रहे हैं
मैं तो उनकी भी मज़म्मत नहीं करता
वो है जहाँ भी जिसके भी साथ है
जिसके लिए हर रात की गयी सुबह
कोई रोग भी उसे लगे या मिले ख़ुशी
प्यार क्या है उस से अब नफ़रत भी नहीं करता
ख़ुदा अपनी रहमत में आकर के अब
कुछ दे या फ़िर छीन ही लेता हो मुझसे
सर झुकाकर क़ुबूल कर लेता हूँ हालात
सर उठाने की भी हिमाक़त नहीं करता
कब्र खोदूँगा नहीं अपनी अपने हाथों से
हार नहीं मानूँगा अपने जज्बातों से
ज़िन्दगी जिस रास्ते भी मिलाएगी मौत से
जा मिलूँगा, किसी भी सूरत बगावत नहीं करता-
उसके जाने का सदमा एक उम्र का नहीं...
तमाम जन्म ये दुःख हमें उदास रखेगा..
उस अनजान दुश्मन को बद्दुआएं लगेंगी हमारी..
जिस जन्म भी वो जिसको पास रखेगा….-
जिन प्रेमियों ने समाज का सम्मान रखा
वे अंततः एकांत ही प्राप्त कर पाए
जबकि समाज को एड़ी की ठोकर
मारकर आगे बढ़े प्रेमी
न केवल अपना प्रेम पा गए
अपितु अंत में उनको मिल गयी
समाज से क्षमा
समाज का साथ
समाज में जगह
समाज के कारण समाज के लिए
सर्वस्व त्याग कर बरबाद हुए प्रेमी
समाज की निगाह में बन गए
नासमझ... नाकारा... नालायक...-
तुम हो ये हौसला भी हुआ तो
मक़सद जिंदगी का मिल सकता है
फ़िर रास्ते में ठोकरें हो या पहाड़
जुनून की ताकत से हिल सकता है।
तोड़ लाऊँगा चाँद
ऐसा दावा नहीं करूँगा
माँग सितारों से भी
मैं नहीं भरूँगा।
ज़िन्दगी की किसी ख़ुशी से तुम
मयस्सर न रहो ये कोशिश करूँगा
ज़रूरतें भी पूरी कर सकता हूँ
ख़्वाब भी पूरे करूँगा।
अग़र मुतमईन हो जाओ तो
थाम लेना हाथ मेरा
फ़िर भी जी ही न लगे साथ मेरे
तो साथ रहने की ज़िद नहीं करूंगा।-
ये जानते हुए
वो शख़्स सुकूँ था मेरा
ग़ैर भी हुआ वो
और दूर भी होता गया
उसको खोकर
उस से दूर होकर
मैं अपना
बचा कुचा भी खोता गया
आख़िरी उम्मीद भी खोकर
जिंदा तो हूँ मग़र
जिंदा लगूँ भी
ऐसी उम्मीद न रखना
मिल कर मुस्कुरा तो लूँगा
मुस्कुरा कर मिलूँ ये ज़िद न रखना-