जिन प्रेमियों ने समाज का सम्मान रखा वे अंततः एकांत ही प्राप्त कर पाए जबकि समाज को एड़ी की ठोकर मारकर आगे बढ़े प्रेमी न केवल अपना प्रेम पा गए अपितु अंत में उनको मिल गयी समाज से क्षमा समाज का साथ समाज में जगह समाज के कारण समाज के लिए सर्वस्व त्याग कर बरबाद हुए प्रेमी समाज की निगाह में बन गए नासमझ... नाकारा... नालायक...
तुम हो ये हौसला भी हुआ तो मक़सद जिंदगी का मिल सकता है फ़िर रास्ते में ठोकरें हो या पहाड़ जुनून की ताकत से हिल सकता है। तोड़ लाऊँगा चाँद ऐसा दावा नहीं करूँगा माँग सितारों से भी मैं नहीं भरूँगा। ज़िन्दगी की किसी ख़ुशी से तुम मयस्सर न रहो ये कोशिश करूँगा ज़रूरतें भी पूरी कर सकता हूँ ख़्वाब भी पूरे करूँगा। अग़र मुतमईन हो जाओ तो थाम लेना हाथ मेरा फ़िर भी जी ही न लगे साथ मेरे तो साथ रहने की ज़िद नहीं करूंगा।
ये जानते हुए वो शख़्स सुकूँ था मेरा ग़ैर भी हुआ वो और दूर भी होता गया उसको खोकर उस से दूर होकर मैं अपना बचा कुचा भी खोता गया आख़िरी उम्मीद भी खोकर जिंदा तो हूँ मग़र जिंदा लगूँ भी ऐसी उम्मीद न रखना मिल कर मुस्कुरा तो लूँगा मुस्कुरा कर मिलूँ ये ज़िद न रखना
जारी है तेरे ख़्यालों का तशद्दुद दिल भी जो है अब बैठा जा रहा है जीते रहने की कोशिश में समेट ली थीं खुशियां पहले ही अब और नहीं होता क़फ़न समेटा जा रहा है तुझे जानती नहीं फ़िर भी बद्दुआ देती होगी एक माँ बड़े लाड़ से पाला था जिसको उसका बेटा जा रहा है
उसके जाने से पहले जिसने मुझे देखा होगा वो मान नहीं सकता ये शख़्श कभी रोया होगा अब जो मिलते हैं मिलने वाले तो यही कहते हैं आँख सुर्ख़ हैं फ़िर रात भर नहीं सोया होगा