Aj ke dor mein log khud ko janwar samjhte hain
Aur janwar ko bhaisahab khkr insan samjhte hain-
شیطانیت کے زمانے میں شاہجہاں اب کہاں
मत इतना मदहोश बनिये इश... read more
दिन तो कट जाता है जैसे तैसे ज़रूरी कामों में मशरूफ़ होकर
रातें काटे नहीं कटती हैं ऐसे वैसे उसकी यादों में गुरूब होकर-
इस गर्मी की क्या ओक़ात जो जला दे मुझे
दिल तो खुद ही जल गया तेरे जाने के बाद
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कभी शब छोटी पड़ जाती थी बातों बातों में
कभी सहर हो जाती थी मीठी बातों बातों में
अब कटती नहीं राते बदन दर्द होने लगता है
अब हमसर नहीं किसे बताऊं हाल बातों बातों में
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यक़ीनन प्यार करना आसान है मगर
बिछड़ने पर टूट जाता है दिल-ओ-जिगर
दिल टूटता है तो दर्द बहुत होता है जब
तुम्हारे सामने अपना बना ले जाए दिगर
अंधेपन में प्यार न करो प्यार करो उसी से
कि उसे अपनाने पर राज़ी हो जाएं पिसर
दुनियां उजड़ जाती है उसके जाने के बाद
अंधेरा ही अंधेरा नज़र आता है देखिए ज़िधर
खुमार चढ़ेगा उसके सिर मोसिम के मैखाने का
भूल जाएंगी जब हो जाएंगे 1,2 लख्त-ए-जिगर
उसके साथ बिताए हुए हर लम्हें याद आएंगे उबैद
संजोए थे जो ख़्वाब पल पल तड़पाएंगे बनके मिरर-
वो मेरे पास होकर भी मुझसे दूर हो गई
यूं लगा जैसे मेरे बदन से रूह जुदा हो गई
आ जाती थी ख़्वाबो में देने तसल्ली मुझे
कमबख़्त अब मेरी रातों की नींद ही खो गई
अब याद आती है तो रोना चाहता हूं मैं मगर
आंसू निकलते नहीं शायद आंखें खुश्क़ हो गई
उसने इसे मांगा तो इसने मुझे मांगा होगा
इसकी रद्द तो उसकी दुआ क़ुबूल हो गई
सोचा था उम्र भर साथ रहेंगे इसके उबैद
वाह रे क़िस्मत वो अब किसी ओर की हो गई-
काश कर दिया होता उसने मुझे प्रपोज़
ना देखने को मिलते मुझे ऐसे बुरे रोज़-
تجھے پانے کی لاکھ کوشش کی مینے
تجھے اپنا بنانے کی لاکھ کوشش کی مینے
اک پل میں تیرے والدین نے تیرا ہاتھ دے دیا موسم کے ہاتھ میں
اسی تناؤ میں آکر زندگی کی خودکشی کی مینے-