When someone binge reads all my balcony letters in one go.
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जो बहल गया मुझसे...
वह दिल था उनका...
जो जल गया उनसे...
वह दिल था मेरा....-
मैंने सुना हैं...
सदियों पहले प्रेम में पड़े,
जल और थल का
अनुपात समान हुआ करता था।
फिर एक दिन
पूरी दुनिया को उनके संबन्ध का
पता चल गया
और तब विरह पीड़ा में,
जल स्तर तीन–चौथाई बढ़ गई
और थल पुरुष के भाँति कठोर हो गये,
पर अब भी अपने
अंदर महासागर छुपाकर रखते हैं।
भू तल के कुछ हिस्सों ने,
संसार की सारी रेखाओं को पार कर
अपनी प्रेमिकाओं का हाथ थामा
और वही हिस्से
द्वीप हो गए!-
जाल ए इश्क के बखुबी बिसाते है लोग।
चूमकर कलियों को बेरंग कर जाते है लोग।।
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जल उठा है दिल का जहां यादो से,
जबसे दर्द ने दिल मे पनाह ली है..!!-
कभी बहता हूँ तो कहीं टपकता हूँ !
मैं तो बस पानी हूँ !!
कभी बारिश बनकर टपकने वाला ,
मैं मौसम एक सुहानी हूँ !
कभी नदियां बनकर बहने वाला ,
मैं धारा एक मस्तानी हूँ !!
कभी बहता हूँ तो कहीं टपकता हूँ !
मैं तो बस पानी हूँ !!
व्यर्थ में ही आज हर नलों से टपकता ,
मैं हर घर की एक कहानी हूँ !
व्यर्थ में ही आज हर नालों में बहता ,
मैं हर नगर की एक कुर्बानी हूँ !!
कभी बहता हूँ तो कहीं टपकता हूँ !
मैं तो बस पानी हूँ !!
मैं उस अंबर की पुकार हूँ ,
और इस धरती मां की एक जुबानी हूँ !
मैं हरेक का आने वाला कल हूँ ,
और हरेक की एक जिंदगानी हूँ !!
कभी बहता हूँ तो कहीं टपकता हूँ !
मैं तो बस पानी हूँ !!
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गम को ग़ज़ल में बदलने का हुनर रखते हैं ,
सूरज हैं , अँधेरा निगलने का हुनर रखते हैं ।
ए दीये सुन , डर मत , बेख़ौफ़ हो कर जल ,
हम हवा का रुख बदलने का हुनर रखते हैं ।
उस ज़लज़ले ने पूरी कोशिश की गिराने की ,
वो तो शुक्र है हम संभलने का हुनर रखते हैं ।
ए अमीर-शेहर , इसे खाली कागज़ मत समझ ,
ये अखबार हैं , सच उगलने का हुनर रखते हैं ।
ये हमे जो डराते हैं हवाओं से , उन्हें खबर कहाँ ,
हम आँधियों के साथ टहलने का हुनर रखते हैं ।-