मंज़िल तो महज़ इक ज़रिया है,
मक़सद तो मेरा इन रास्तों पर निकलना है..
मंज़िल मिल भी जाए तो क्या है,
फिर इक दफ़ा किसी मंज़िल को चलना है..
इस साँचे के साँचे में तो कई ढलते हैं,
औरों को ढाल पाऊँ मुझे ऐसा साँचा बनना है..
किस्मत तो बदलती बहुतों को है,
पर मुझे तो अपनी किस्मत को बदलना है..
थकना-रुकना,गिरना-संभलना है,
नहीं,मुझे ज़रा ठहरकर सूकून से राह बढ़ना है..
किसी और को देख क्यूँ जलना है,
ये जलकर जलना भी क्या कोई जलना है..
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Because 👉👉life 😍😍is an ice -cream🍧🍧.So test 👅👅the ice-cream🍨... read more
ये लम्हा , जो ठेहरा है !
न तेरा.. , न मेरा.. है !!
किसका यहाँ,जाति डेरा है !
वक़्त - वक़्त,नया बसेरा है !!
कहीं धूप का घेरा है !
कहीं बादलों का पेहरा है !!
छाया आज काला अंधेरा है !
कल फिर , नया सवेरा है !!
चेहरे पर , यहाँ चेहरा है !
पिछे नक़ाब , राज गेहरा है !!
किरदार तो यहाँ , इकहरा है !
पर किस्सा उसका , घनेरा है !!
क्यूँ भटकता तू,अनेरा है !
वो तलाश जो , तेरा है !!
ये मौका , बड़ा सुनहरा है !
कुछ तेरा , कुछ मेरा है !!
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किसी की उड़ान खत्म हो गयी और कोई अब भी जिंदा है !
फर्क़ तो महज़ इतना है कि कोई पतंग है और कोई परिंदा है !!
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" जब शून्य से ही की है शुरुआत,तब अंत से डरने की क्या बात "
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तब ख्वाहिश थी, आज ख्वाहिशें हैं,
जिनमें कुछ पा लिया तो कुछ बाकी है !
ये हमारा और जिंदगी का हिसाब है,
जिनमें कुछ बकाया है तो कुछ बाकी है !!
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