Himanshu Sharma   (हिमांशु हिमदिल)
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Joined 14 February 2019


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30 JUL AT 21:43

प्रेम, को पूजा की तरह कहा बनाते है लोग,,
आवारगी को प्रेम का नाम दे जाते है लोग,,

बाते करते है शिव मां पार्वती , राधा कृष्णा की लोग,,
प्रेम ही भक्ति है कहा समझ पाते है लोग,,

प्रेम से ही मुक्ति , भगवान तक मिल सकते है,
इस सागर में कहा उतर पाते हैं लोग,,

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25 JUL AT 18:14

उलझ जाता हूँ —
कि उसकी आंखों में डूब जाऊं या गुलाबी गालों पर बह जाऊं,
शहद जैसे लबों को चूम लूं,
या उस यौवन की मादकता में खो जाऊं।

हर अंग से छलकती है सुरा,
हर साँस में जैसे इश्क़ की कोई धुन है।
ये देह नहीं, कोई तंत्र की पावन धारा है,
कभी मधुशाला लगे, कभी स्वर्ग से उतरी कोई अप्सरा।

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23 JUL AT 19:41

मोहब्बत क्या होती है , करके समझाया था,,
उसने मेरे हर पल को खूबसूरत सा सजाया था,,

मंदिरों में गए सिद्धपीठो में लेकर गई थी,
भक्ति प्रेम समर्पण सब उसने दिखाया था,,

मैं ढूंढता हूँ उसकी ही बातों को किसी चेहरे में,,
कोई है जिसमे उसका ही अक्स नजर आया था,,

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19 JUL AT 17:53

मेरी जिंदगी के राज का एक राज हो तुम,,
जो ख्वाहिश है मेरी उनमें सबसे बड़ी ख्वाहिश हो तुम,,

तुम भगवान तो नहीं , पर भगवान से कम भी नहीं ,,
मेरी रूह की चाह, ईष्ट का आशीर्वाद हो तुम,,

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16 JUL AT 22:21

जिसको लब्ज़ों से बयां नहीं कर सकूं* वो हो तुम,"
तुम वो एहसास हो जो सिर्फ़ रूह में उतरता है।
जिसे देखूं तो नज़रें झुक जाएं,
जिसे सोचूं तो सांसें महक जाएं।
तुम्हें लिखूं तो कलम कांप जाए,
तुम्हें छू लूं तो वक़्त ठहर जाए।
तुम मोहब्बत नहीं... इबादत हो,
शब्द नहीं.तंत्र हो, सरगम हो, राहत हो।

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13 JUL AT 20:42

तुझको पाए बिना इतनी मोहब्बत की है जाना,
तुम हकीकत बन जाओ तो फिर क्या ही बात होगी,,
❤️❤️❤️🌹🌹🌹
सपनों में बहुत हो गया रुद्राभिषेक साथ में जाना,,
ये अब हकीकत हो जाए तो फिर क्या ही बात होगी,,,
❤️❤️❤️🌹🌹🌹
भक्ति की मूर्ति तुम, प्रेम में तुम्हारे विलीन होना हे जाना,,
भगवती, महादेव की कृपा हो जाए तो फिर क्या ही बात होगी,,

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7 JUL AT 21:48

तेरा सौंदर्य तो शिव का वरदान है,
जिसमें शक्ति की झलक, भक्ति का प्रमाण है।

तू रूप में नहीं, भाव में रमती है,
सच बस इतना है तू अब दिल में बसती है,,



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6 JUL AT 20:07

मेरी ईच्छा भी तू , अभिलाषा भी तू,
कामना भी तू, मेरा वैराग भी तू.

मेरा सपना भी तू , मेरा अपना भी तू,
मेरा तंत्र भी तू , मेरा यंत्र भी तू,

मेरा नाद भी तू, मेरी फरियाद भी तू,
मेरा स्वर भी तू , मेरा मंत्र भी तू,

मेरी भक्ति भी तू, मेरी शक्ति भी तू,
भुक्ति भी तू, मेरी अब मुक्ति भी तू,

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3 JUL AT 19:10

चलो दर्दनाक किससे सुनाते है, म्लेच्छो की सोच बताते है,,
कितनी नफरत रखते है ये दिलो में, इनके ये कर्म बताते है,,

पुराणों ने खूब बताया है, इतिहास ने भी यही समझाया है,,
मानवता के है ये दुश्मन , खून से दुनिया को नहलाया है,,

खिलौने जैसे खेलते है स्त्रियों से, उनकी स्वतंत्रता को कैद बनाया,
जिंदी ही क्या , दर्द होता है इन्होंने तो शवों को भी शिकार बनाया है,,


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29 JUN AT 14:10

कोई एक गुलाब देता होगा किसी को पाने के लिए,,
मैं एक लाख गुलाब चढ़ा चुका उसको अपना बनाने के लिए,,

उसकी कीमत को क्या ही बयां की जाए अब जमाने मैं.
मेरी साधना ही हो रही है अब जिसको पाने मैं,,,

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