छत्तीसगढ़ और बिहार तिहार
(अनुशीर्षक में पढ़े)-
Insta–ka_vii_ra
Birthday-08/08/99
मेरी Profile मे आपका स्वागत हैं और एक निवे... read more
मैं दोपहर की कड़कती धूप हूँ
तुम हो जैसे ऋतुराज
तुम्हें हक़ है मुझे ठुकराने का
ब्याह लाना बसंती सांझ।
मैं कही भी उगने वाली खरपतवार
तुम हो फूलों की बागान
तुम्हें हक़ हैं मुझे ठुकराने का
ब्याह लाना लाल गुलाब।
मैं जमीन पर फुदकती गौरैया हूँ
तुम हो सारा आसमां
तुम्हें हक़ है मुझे ठुकराने का
ब्याह लाना एक चाँद।
मैं बहुत आम सी लड़की हूँ
तुम जैसे हो राजकुमार
तुम्हें हक़ है मुझे ठुकराने का
ब्याह लाना महल की शान।
बाबा की इकलौती बिटियाँ हूँ
तुम पर नहीं छिड़कूंगी जाँ
तुम्हें हक़ है मुझे ठुकराने का
बाबा मे बसते है मेरे प्राण।-
ईश्वर पर विश्वास रख़ोगे तो
कुछ ना कुछ मिल ही जाएगा।
ख़ुद पर विश्वास रख़ोगे तो
बहुत कुछ मिलना तय है।-
चुंबन
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दोस्तों से सुनी थी कि
दो फूलों का टकराना
बहुत संजीदा और सुकून भरा होता है।
पर जब तुमने पहली दफ़ा चूमा
तो जानी कि बिच्छु के डंक मारने से
देह में कैसी बौखलाहट होती है।-
तुम क्या गए...
कि मेरी देह में उग आए है,
अमलतास!
तुम आओ
और रख दो मेरे मेरे होंठों पे
एक बोगेनविलिया
देखना
अमलतास का रंग बदलेगा।
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दुःख छुपाने कि कला
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कुछ भी हो आँसू का कारण
बारह बरस मे ब्याही दादी ने
चूल्हा फूँकते हुए
धुआँ को ही आरोपी ठहराया हैं।
कुछ भी हो आँसू का कारण
सब्जियाँ काटते हुए माँ ने
सारा दोष
प्याज़ के माथे मढ़ा हैं।
कुछ भी हो आँसू का कारण
मुझ जैसी अल्हड़ लडकियों ने
अक्सर पी.एस.एम
कह कर बात टाल दी।
कुछ भी हो आँसू का कारण
स्त्रियाँ पारंगत है दुःख छिपाने की कला मे।-
सौ दफ़ा कर लो इंकार लबों से आँखों कि दलिले काफी है।
तुम ना करो मोह्होबत मुझसे मै करती रहू तुमसे ये काफी है।
और सुनो ये जो इतनी अदब से नफ़रत करने लगे हो मुझसे
अच्छा लगता है कि तेरे दिल मे मेरे लिए तो कुछ बाकी है।-
विवादों से बच जाऊंगा...
नज़्मों से कौन बचाएगा?
काटों से बच जाऊंगा...
फूलों से कौन बचाएगा?
हुस्न से बच जाऊंगा...
आँखों से कौन बचाएगा?
बारिसों से बच जाऊंगा...
भींगने से कौन बचाएगा?
द्वेष से बच जाऊंगा
और मृत्यु से भी कई बार..
पर प्रेम!
प्रेम से कौन बचाएगा माधव?
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जब तुम प्रेम चुनते हो
तो सबसे पहले तुम्हारे हिस्से में
दुःख आता है,
फिर इंतज़ार...
और अंततः जब तुम मौत की भीख माँग रहे होते हो
तो तुम्हारे कानों में
महामृत्युंजय फूँकने आता है
प्रेम!-
कल तक तो अरुंधती चमकती थी
आँखों पे,
और आज!
आज ये रक्तिम रेशे कैसे?
मानो की एक दिन में ही
अगरिया मजदूरों से ज्यादा जान गई नमक को,
क्या फ़िर किसी ने दिल तोड़ा हैं?
ओफ्फो....
ये माधव भी कितने बुद्धू हैं
जीवन मे अत्यधिक टूटने वाला अवयव हृदय है।
और पुनरुतपति का वरदान यकृत को दे चुके हैं!
यशोमती मिलेगी तो शिकायत करूँगी
कि प्रेम का उत्कृष्ट छात्र
क्रियाशारीर में बहुत कमजोर है।
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