कुछ लोग हम ही हम की हुंकार लगाये बैठे हैं
वक़्त करेगा फैसला किसकी किस्मत में क्या आएगा-
कलम ही नहीं चलाओगे तो कलाम कैसे बनोगे..,
माँ भारती की भूमी का आव्हान कैसे बनोगे..,
वक़्त है अब बोल कर बात सबको सुनाने का..,
चुप ही अगर रहोगे तो आसमान कैसे बनोगे...!!!
वक़्त की दीवार को आओ अब चल कर पार करे..,
जो हुआ नहीं है अब तक, आओ मिल कर इस बार करे..,
शांत राह कर देख लिया है, होता कुछ नहीं यहां..,
आओ मिल कर उन पर अब शब्दों के वार करे...!!!
शब्द में जो ताक़त है वो नहीं कोई हथियार में..,
प्यार से माना नहीं जो, मानेगा शब्दों की ललकार से..,
नाइंसाफी सह सह कर दम भी अब घुटने लगा..,
दानव भी अब काँप उठेगा कलम की हुंकार से...!!!-
Kudarat ne jaise ki hai ek हुंकार
Manushya rehna aukaat me ye hai पुकार.-
Tu hunkar fir ek baar bhar
Tu var fir ek baar kar....
( caption me padhe)
Ps :- waah waahi nhi chahie bss ye aag bujhni nhi chahie-
02 अकटुबर 2021
आमरण अनशन आंदोलन
साथियों
शिप्रापथ की अधूरी लड़ाई अब भी हमारे सीने में धधक रही है उस रण को जीतना हमारे गौरव प्रतिष्ठा ओर आत्मविश्वास की बात है। हम आज भी नही भुले है एक दूसरे के त्याग तपस्या ओर बलिदान की गाथाये जो हमने शिप्रा पथ की छाती पर लिखी थी । हम शिप्रापथ की अधुरी लड़ाई को निरंतर रखने के लिए पुनः बिगुल 02 अकटुबर 2021 को बजाने जा रहे है। गांधी जयंती को राजस्थान के प्रत्येक बाबू को अपनी प्रतिष्ठा गौरव ओर अपने आत्मसम्मान के लिए शहिद स्मारक आना है ताकि हमारी जोरदार हुंकार ओर गर्जना सरकार को सुनाई दे। ओर हमे विजय श्री प्राप्त हो सके।
दिनाँक ;- 02 अकटुबर 2021
दिन :- शनिवार
स्थान :- शाहिद स्मारक , गोवरमेंट होस्टल के पास जयपुर।
मनोज सक्सेना,
अध्यक्ष🙏🏻
राजस्थान राज्य मंत्रालियक कर्मचारी महासंघ-
हुंकार!
ये देश राम रहीम की है,
कृष्ण और करीम की है,
हम सालों से एक साथ रहें,
एक बिल से फिर क्यों अलग होंगे,
तुम लाख हमें अलग कर लो,
हम फिर भी हाथ मिला लेंगे,
तुम लाख हमें दबा लो,
हम फिर भी उठ खड़े होंगे,
हम अब तक चुप बैठे थें,
हम अब चुप नहीं बैठेंगे ,
हाँ! हम चुप नहीं अब बैठेंगे,
हम हुंकार भरेंगे...-
सुकून है तू कुछ पल का
यू बिछड़ने की बात न कर
चले है अभी तो कुछ कदम ही साथ में
तू हाथ छोड़कर मुझसे दूर जाने की बात न कर
हा जनता हूं अभी तू थोड़ा परेशान है
इतनी जल्द बाजी में किसी फैसले को अंजाम न कर
जानता हूं अभी बहुत बचपन भरा है तेरे दिल में
एक बीते कल से तू अपने आज को बर्बाद ना कर
देख जरा तू खुले आसमान की तरफ
अपने सपनो को पिंजरे में तू बर्बाद ना कर
चल फैला पंख और उड़ान भर तू
उस बाज की तरह अपने होने का हुंकार भर तू-