शाख से टुटे हुए फूल खुद को गुलशन समझने लगे है।
जो कुछ भी नही कहि पे वो खुद को सब कुछ समझने लगे है।-
कागज के नोटो पर इतना गुरुर न कर घमंडी।
तुझे चंद सिक्को के लिए दर दर भटकते देखा है।
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लपट के पैरों से तेरे मेरे गुनाहों के लिए रोना चाहता हूँ।
इन जिम्मेदारियों से थककर मां तेरी गोद मे सोना चाहता हूँ।
बुरा हो जाऊं सारी दुनिया के लिए तो ग़म नही
बस तेरी नज़रों में , माँ मैं अच्छा होना चाहता हूँ।-
गर परेशानी हो मेरी शख्शियत से तुम्हे
तो जिस्म से मरहूम होकर रियायत देना हमें।-
आपका स्नेह और व्यवहार अपनो को जोड़ता है।
वही आपका दौलत का घमंड अपनो को तोड़ता है।-
उतर जा घमंडी घमंड के आसमान से
वहा कोई नही तुझे सम्भालने वाला।
झुक जा थोड़ा अपनो के आगे भी
हर शख्स मिलेगा तेरा जीवन सवारने वाला।
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साजिशें ओर रंजिशे अपनो को ही तो है हमसे।
वरना गेरो को तो हमसे कोई मतलब ही नही।-
जब अपमान सहने वाला
अपमान करने वालो के आगे नतमस्तक हो जाये।
तो समझो उनकी प्रतिष्ठा स्वाभिमान पतन की ओर है।-
इतिहास बना दिया उन्होंने परम्पराओ को तोड़कर
जो दुसरो को कभी रस्मो रिवाज़ो का पाठ पढ़ाया करते थे।-
ज़िंदगी को कोई यू ही नही खोता
कई साज़िशों के बाद वो जहाँ मिलता है।-