Arun Sisodia Official   (Arun sisodia)
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Joined 10 August 2021


Joined 10 August 2021
11 DEC 2022 AT 6:05

शाख से टुटे हुए फूल खुद को गुलशन समझने लगे है।
जो कुछ भी नही कहि पे वो खुद को सब कुछ समझने लगे है।

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29 OCT 2022 AT 17:05

कागज के नोटो पर इतना गुरुर न कर घमंडी।
तुझे चंद सिक्को के लिए दर दर भटकते देखा है।

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23 OCT 2022 AT 22:17

लपट के पैरों से तेरे मेरे गुनाहों के लिए रोना चाहता हूँ।
इन जिम्मेदारियों से थककर मां तेरी गोद मे सोना चाहता हूँ।
बुरा हो जाऊं सारी दुनिया के लिए तो ग़म नही
बस तेरी नज़रों में , माँ मैं अच्छा होना चाहता हूँ।

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16 OCT 2022 AT 21:03

गर परेशानी हो मेरी शख्शियत से तुम्हे
तो जिस्म से मरहूम होकर रियायत देना हमें।

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13 OCT 2022 AT 21:15

आपका स्नेह और व्यवहार अपनो को जोड़ता है।
वही आपका दौलत का घमंड अपनो को तोड़ता है।

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12 OCT 2022 AT 19:37

उतर जा घमंडी घमंड के आसमान से
वहा कोई नही तुझे सम्भालने वाला।
झुक जा थोड़ा अपनो के आगे भी
हर शख्स मिलेगा तेरा जीवन सवारने वाला।

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8 OCT 2022 AT 22:59

साजिशें ओर रंजिशे अपनो को ही तो है हमसे।
वरना गेरो को तो हमसे कोई मतलब ही नही।

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8 OCT 2022 AT 12:38

जब अपमान सहने वाला
अपमान करने वालो के आगे नतमस्तक हो जाये।
तो समझो उनकी प्रतिष्ठा स्वाभिमान पतन की ओर है।

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5 OCT 2022 AT 21:43

इतिहास बना दिया उन्होंने परम्पराओ को तोड़कर
जो दुसरो को कभी रस्मो रिवाज़ो का पाठ पढ़ाया करते थे।

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5 OCT 2022 AT 12:03

ज़िंदगी को कोई यू ही नही खोता
कई साज़िशों के बाद वो जहाँ मिलता है।

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