Rohit Rawat   (Rohit (Pahadi Boy))
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Joined 21 May 2018


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Joined 21 May 2018
11 APR AT 23:28

चला गया जो बिन बोले सबकुछ समझ जाता था
छोड़ गया तनहा जो मुझको रावत कहके बुलाता था
कहता था मुझसे इस लड़की का कभी साथ मत छोड़ना
उसने मेरा साथ छोड़ दिया में उसे ये कैसे बताता
उसके आखिरी लम्हों में भी उसके साथ न रह सका
अब वक्त को ओर कितना लाचार बताता में
वो भाई था सहारा था कंगाली में मेरे अमीर होने का इशारा था
वो बचपन की याद है वो पहला यार है
दोस्ती क्या होती है उसको निभाने वाला मेरा पहला प्यार है
वो डांटता भी था वो चिढ़ाता भी था लाखों की भीड़ हो वो अकेला ही मुझे संभालता भी था
वो अकेला जाते जाते मुझे कुछ तनहा कर गया
कोई फिर ऐसा मिला नहीं जो मेरी खामोशी को समझ गया
उसके जाने पर भी एक आंसू न टपका पाया में
सबसे दूर होते ही में तिल तिल मर गया
वो कौन था मेरे लिए ये बात जानता था वो
किसी को बताने से पहले ही दुनिया छोड़ गया
एक भाई था मेरा जो मुझको अकेला छोड़ गया
उसके जाने के बाद में कुछ तनहा रह गया

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20 MAR AT 23:21

जुदा हो चुके है हम
पर अब भी उनके सिराने बैठे है
तप रहा है उनका बदन
ओर हम एक टक उनपर गड़ाए बैठे है
मूंद ली है उन्होंने आंखे
मेरा दफ्तर का समय हो गया है
उठने की पूरी कोशिश है
पर कंभक्त दिल वही खो गया है
अब ओढ़ ली है उन्होंने चादर चेहरे पर
मुख मोड़ के हमें अलविदा कह दिया है
हमने कोशिश की आखिरी बार बुलाने की
पर वो बहरों की तरह नींद में सो गया है


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16 MAR AT 20:07

30 का बोलकर 60 का पिला देते है
दोस्त इतने कमिने है उसका नाम लेकर पिला देते है
हमें भी रहना नहीं अब होश में
हमें भी रहना नहीं अब होश में
60 वाले को 30 का समझकर पी जाते है

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4 MAR AT 22:50

नशा हो रखा है मुझे
मुझे नशे में ही रहनेदो
नशा हो रखा है मुझे
मुझे नशे में ही रहनेदो
होश आया हमे
तो फिर से बिखर जाएंगे

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1 MAR AT 23:39

कैसा इश्क था तेरा जो हमें छोड़कर किसी ओर से हो गया
किसी ओर को छोड़कर किसी ओर से हो गया
वक्त के साथ तूने मर्द तो बदले
पर मेरा नाम तेरे साथ जिंदगी भर हो गया
तेरी आंखों में न अश्क रहे
न रही तेरे लहजे में वो बात
एक सन्नाटा सब कुछ कह गया
ओर किसी को पता भी न चला

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23 FEB AT 22:58

आज भी तड़प है उसकी आगोश में होने की
उसकी आगोश में कभी होंगे ये भी एक सपना है
दिल दुखता है इन बातों से ये दिल को मालूम है
मालूम है कंभक्त दिल को फिर भी याद करता है
हम कहते है थम जा अब वक्त जरा नासूर है
नासूर है वो लम्हे ये कहकर दिल धड़कता है
हम कहते है थम जा ये बाते अब पुरानी है
पुरानी बाते ज़ख्म देती है इसलिए तू तड़पता है


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12 FEB AT 4:28

अक्सर लोग वादों से मुकर जाते है
हालत बदलते ही मौसम से हो जाते है
ओढ़ लेते है चेहरे पर एक नया मुखौटा
किसी को छोड़कर किसी ओर के हो जाते है

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12 FEB AT 4:22

हाथों में जाम था
यारों की महफिल थी
लबों पर नाम था तेरा
दिल में बेचैनी थी
लफ्जों में शोर था
पर कमरे में सन्नाटा था
दीवारें चीख उठी थी
ये ज़ख्म कितना गहरा था
समंदर भी खुदको अब छोटा मान बैठा था
दो आंसुओं की कीमत उससे ज्यादा गहरी थी

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7 FEB AT 10:31

सन्नाटे के शोर में आवाज दब गई
लबों में मेरे एक बात थम गई
जब वादा था कभी न जुदा होने का
क्यों वक्त के साथ ये बात बदल गई


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5 FEB AT 10:16

दिल जलता है मगर दिखता नही
ज़ख्म गहरा है मरहम मिलता नही
कुछ यादें है जो नासूर बन गई है
एक चेहरा है जेहन से मिटता नही
सदिया बीत गई अरमान वही पुराने है
मौसम बदल रहे है हम आशिक वही पुराने है

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