CA CS Narayan Mundhra   (Kimti Syahi)
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Writer by passion
Coming up with my first book as Author
Joined 25 October 2017


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6 JUN 2021 AT 6:28

कहीं ले चल मुझे शहर के षड्यंत्र से दूर
गाँव की खामोशियों से गुफ्तगु करनी हैं मुझे!

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6 JUN 2021 AT 6:14

ए चाँद अब मैंने तुझसे दोस्ती कर ली
अपने हर मर्ज की दवा तुझमे ढुंढी
कभी भटक जाऊँ राह में अपनी चांदनी से राह दिखाना
हो वक़्त की मार कभी अपनी शितलता बरसाना
यूँ तो पूनम लुभाती है मुझे, तेरा साथ जो पूरा होगा
ढक लेना आँसू मेरे,अमावस का तेरी सहारा न्यारा होगा
यह न सोच दोस्त मेरे इक तरफा दोस्ती होगी,
महफ़िल बनेगी तेरी मेरी, गुफ्तगु होगी
दुनिया सोयी होगी, तेरे अहसास को सहारा मेरी कलम देगी
रात होगी, चाँद होगा, नारायण तेरी कागज कलम होगी!!

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6 JUN 2021 AT 5:48

बेखबर हैं मंजिल, राह गुमनुमा हो गयी हैं
तेरे जाने से यूँ जिंदगी बेनाम हो गयी हैं
इंतज़ार भी हैं दिल के कोने में कहीं, कहीं बेवफाई की आग लग रही हैं
प्राथना में फिर भी तुम्हारी सलामती की हाजरी लग रही हैं
यह इश्क़ हैं समझदार होकर भी नासमझी की हद पार हो रही हैं!!

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6 JUN 2021 AT 5:01

यादे सता रही है या इंतज़ार हैं तेरा
खाली खाली सा फिर भी कितना भरा भरा सा
पढ़ कर देखना मुझे तेरी किताब बना कर
पढ़ना सहलाना सीने से लगा युहीं सो जाना
जाने क्यों याद आते हो इतने तुम
यादे सता रही है या इंतज़ार हैं तेरा!!

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14 MAY 2021 AT 0:23

हवा का रुख बदल रहा हैं
साजन का इंतज़ार हैं
पिरोए हैं सपने हमारे लिए
उन्हे जीने का ऐतबार हैं
इंतज़ार रहेगा इज़हार का तुम्हारे
हम तो सदियो से तैयार हैं
आ भी जाओ घडी हैं मिलन की
हमारे मिलन की यह रात हैं!!

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1 MAY 2021 AT 19:23

हवा में इश्क़ की महक आ रही हैं
लगता हैं शहर में तेरी झलक मिल रही हैं
बेपरवाह स्याही खामोश हो गयी हैं
तुम्हारे नजराने शब्द भूल गयी हैं
जाओ ऐलान करदो तुम लौट आये हो
तुम लौट आये हो, हम लौट आये हैं!

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24 APR 2021 AT 0:54

फिके पड़ने लगे हैं शब्द
अब कागज पर बेवफाई उतरती कहाँ हैं
भुल चुके हो तुम हमे
हमे तुम्हारी याद अब सताती कहाँ हैं
दोस्ती का गहरा रिस्ता दुनिया के नजर में हैं कहीं
हमारे दोस्तो में यह ऐलान हो चुका हैं
हम नजर मिलना नहीं चाहते तुमसे.. तुम नजरे हमसे मिला नहीं पाते
इश्क़ का आलम देखो.. कोई भूल गया किसी को.. किसी को याद भी कहाँ हैं!!

Narayan Mundhra
narayanmundhra_

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7 MAR 2021 AT 2:55

सुकूँ की तलाश में दर दर भटक रहा हूँ
तेरे मिल जाने से ये तलाश मुकम्मल होगी
जिक्र क्या करें तुम्हारा
लब्जो में कह पाएँ नादानी होगी
खुदा के करीब रहें होगे तुम कभी
इतनी इबादत हमने न की होगी
समंदर के किनारे गये हैं पहुँच
मंजिल तक ले जाने तुम्हारी जरूरत होगी
आओ साथ मिल इज़हार करेंगे..इबादत में फरियाद एक दुजे की करेंगे।।

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2 MAR 2021 AT 9:29

कहाँ फुरसत थी हमे कि किताबे पढ़ते
तुमसे दिल हटता तो साहित्य पढ़ते
एक साहित्य की किताब हमने भी लिखी हैं
तुम्हारी खबर हर रोज रखी हैं
यूँ तो Slam Book बचकाना लगता था हमे
तुम्हारी रुचि में रुचि रखी हैं
तुम कहोगे एक तरफा लगाव हैं हमारा
एक तरफा इश्क़ का अपना अलग जाम हैं
उम्मीद ना सही.. दर्द हर साँस हैं!

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2 MAR 2021 AT 1:22

अकेले बैठे बैठे इठलाने लगते हैं
इतराने लगते हैं कभी.. कभी गुनगुनाने लगते हैं
लगता हैं कभी जैसे आसमां को धरा पर उतार दूँ
कभी सैर आसमां की कर आते हैं
यूँ ही बैठे बैठे सपने तुम्हारे सजोने लगते हैं
जुल्फो संग तुम्हारे खेलने लगते हैं
एक रोज मिलो कभी दिल ए बयाँ करेंगे
बस तुम सामने बैठना नैनो संग मुलाकात करेंगे
तुम्हारी छवि को रूह में उतरना चाहते हैं
बस तुम्हे जी भर निहारना चाहते हैं
नही करेंगे वादे बड़े बड़े हम तुमसे
छोटी छोटी बातो को तुमसे साझा करेंगे
ज्यादा कुछ नहीं बस यही मांग करेंगे
तुम्हारा हाथ थाम लेने की सौगात करेंगे
तुम यूँ ही शर्मा कर पलके चुराना
पलको को तुम्हारी सर आँखे रखेंगे
कभी हक भी जताएंगे अगर तुम पर
अपना इश्क़ लुटा फिर ऐसा काम करेंगे
किसी और का क्या कहें
हम तुम्हे हमराज.. हमारा हमसफर कहेंगे!!

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