Sandip Shrivastav   (संदिप श्रीवास्तव-श्रीदिप)
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Insta: @shrivastavsandip
Joined 3 May 2020


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Joined 3 May 2020
30 JUL AT 22:46

देखो तो ज़रा आज चाँद भी कुछ ज्यादा ही खिल रहा है,
तन्हाई पर वह मेरी हसकर कोई पुराना बदला ले रहा है।

चाँद को ताकते हुए जब सोचने लगा की आखिर यह क्या माजरा है,
तब समझ आया कि यह तो तुम्हे चाँद से भी सुन्दर कहने का नतीजा है।

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25 JUL AT 21:34

ऑंखें खुली हो फिर भी न जाने क्यों अक्सर ग़लती हो जाती है,
दिल से फ़ैसला करनेवाले को धोखे के रूप में सजा मिल ही जाती है।

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28 JUL 2024 AT 0:26

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16 JUL 2024 AT 23:43

अंधेरों में भी साथ न छोड़े,
वह सच्चे दोस्त है ख्वाब ये सारे।
ख्वाब ये बेचारे...

खुली आँखों से जो न मिले,
रूबरू करवाते है उन्हें ख्वाब ये सारे।
ख्वाब ये बेचारे...

साथ रहने की चाहत रखते है वो भी,
लेकिन टूट जाते है उनके भी ख्वाब ये सारे।
ख्वाब ये बेचारे...

काश ऐसा हो,
की पुरे हो सबके ख्वाब वो सारे,
और फिर से कहना न पड़े ...
ख्वाब ये बेचारे... ख्वाब ये बेचारे...

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25 MAY 2024 AT 21:27

अक्सर हँसकर बातें
करनेवालों से रहे होशियार,

जैसे ही मुड़ेंगे आप,
कर देंगे वो पीठ पर वार!

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25 MAY 2024 AT 20:54

कुछ इस कदर दिल ओ दिमाग में छाया है,

सैलाब उमड़ा है लोगो का,
लेकिन हर शख्स में मुझे तू ही नज़र आया है!

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25 MAY 2024 AT 20:40

न जाने कितने काँटों को साथ लाया था,

जब भी चाहा छूना उसे,
खुद को हमने किसी मुसीबत में ही पाया था.

नज़रंदाज़ करना चाहा हमने,
लेकिन चुभन, दर्द जुदाई का याद दिलाता था|

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28 DEC 2023 AT 14:37

સંગત ની અસર..!!

સંગત ની અસર આજકાલ ઠંડી પર પણ વર્તાય છે,
પારો એનો પણ હમણા થી જરા ઉંચો જ દેખાય છે.

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14 DEC 2023 AT 22:03

કંઇક ને કંઇક રોજ નવું શીખવાડી જ જાય છે,
જિંદગી, રોજ નવો પાઠ ભણાવી જ જાય છે.

જો આજે રડાવે, તો કાલે હસાવતી જાય છે,
સુખ દુઃખ નો બરાબર હિસાબ કરાવતી જાય છે.

અંધારી રાત પછી જેમ રમણીય સવાર થાય છે,
તેમ હાર જીત સિક્કાની બે બાજુ છે એ સમજાવતી જાય છે.

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14 DEC 2023 AT 9:17

"अक्सर मैं सफ़र में रहता हूं"

एक पल में लगे की सब सुलझ गया है,
फिर दूसरे ही पल खुद को उलझनों में पाता हूं...
हां, अक्सर मैं सफ़र में रहता हूं।

जरूर, पाया तो बहुत कुछ है मैंने,
फिर भी ना जाने किसकी तलाश में रहता हूं...
हां, अक्सर मैं सफ़र में रहता हूं।

मंजिल पर पहुंच तो गया हूं मैं,
फिर भी ना जाने रास्ते कौन से मैं ढूंढता हूं...
हां, अक्सर मैं सफ़र में रहता हूं।

साथ लेकर सबको चला तो था मैं,
फिर भी ना जाने कैसे अकेला मैं रह गया हूं...
हां, अक्सर मैं सफ़र में रहता हूं।

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