ना लहजे में मिठास है,ना आंखों में मोहब्बत किसी की
जाने "सबा" किस अजनबी के घर आ गए हम-
वीरों की भूमि, वीरों की शहादत!
भूल गए हम, या कोई उनका मोल नहीं!!
झाँक के देखो, अपने गिरेबान में!
हम आजाद हुए , या हम अब भी गुलाम कहीं??-
Suna hai aaj aajadi ka din hai,
Par mai kaha aajad hu,
Mai gulaam hu rang nasal ka,
Mai gulaam hu jaat dharma ka,
Mai gulaam hu maansikta ka..
Par mai kaha aajad hu,
Mai gulam hu aashiksha ka,
Mai gulam hu garibi ka,
Mai gulam hu unmaadi bheed ka,
Par mai kaha aajad hu..
-
कुछ लोग को गुलामी करने की
लत इस कदर लगी है कि
वो लोग जिंदगी में बदलाव चाहते ही नहीं है-
बस एक तेरे इश्क में गुलामी की है हमने,
वरना नवाबजादी तो हमारे खून में है ।-
बिना घूँघट के
प्रधान साहिबा ने
ध्वजारोहण करने के लिए
अपने कदम बढ़ाए।
पीछे से एक आवाज़ आई
बहु! घूँघट निकाल दो....
मेरे आज़ाद भारत के
ग़ुलाम लोग।
राष्ट्रगान के लिए सावधान स्थिति
में खड़े थे मूक होकर...-
बस एक बार नजरे मिलाने की गुस्ताखी कर बैठा।
मानों, तब से दिल उनका गुलाम ही हो गया...-
آزادی کے خواب بھی دیکھتے ہیں ہم۔
جابر کی غلامی بھی کرتے ہیں ہم۔
Aazadi ke khwaab bhi dekhte hain hum
Jabir ki gulami bhi krte hain hum-
परिंदों की तरह रहना, जीवन धारा संग बहना।
जो भी दिल में आए मेरे साथी बेझिझक कहना।
किसी भी झूठ पर तुम कभी आश्रित मत रहना।
जीवन चलता जाएगा तुम आगे बढ़ते ही रहना।
टिप्पणी करने पे उसकी सकारात्मकता देखना।
उसकी बातों से सीख लेकर तुम सतत बहना।
जो कभी तुम्हारी ग़लती हो तो कोई बात नहीं।
पर अगर तुम सही रहो तो कभी भी मत सहना।
इस जीवन में कभी भी "कुछ भी हो सकता है"।
तुम हर घड़ी हर पहर इसके लिए तैयार रहना।
कोई पढ़ेगा वाहवाही करेगा इसलिए मत लिखो।
अपनी शांति के लिए "आजीवन लिखते रहना"।
इस मतलब की दुनिया में जो बेमतलब ही करें।
ऐसे प्यार करने वालों से ही दिल की बात कहना।
क़लम है शब्द है जज़्बात भी है पास में "अभि"।
बस अपनी लेखनी के संग आजीवन बहते रहना।-