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Saath achhi Lage to nivana zarur
Mein narm dil sakt mija... read more
छोड़ो यार मुझे मर जाने दो
पुकार रही हैं दीवारे घर जाने दो
मैंने नहीं कहा इज़्ज़त से दफनाओ मुझे
ज़मीन पे ही पड़े जिस्म को सड़ जाने दो...-
हरा पीला सदा नीला यार लोगों में कितने रंग है
मूंह एक ज़बान एक और डसने को हजार ढंग है
वो अनाथ ढूंढते रहते हैं गली कूचे में एक अपने को
और यहां कुछ लोग है जो अपने आप से ही तंग है
ये मुंह बोले रिश्ते ही कयामत तक दिखते हैं यहां
वरना खून के रिश्तों में सदियों से छीड़े जंग है
अब तो धोखेबाजी मक्कारी के रंग में रेंगे है सारे लोग
कहने को इंसान पर ईमान जमीर कहां किसी के संग है-
लबों से लव कभी तो टकराना चाहिए
प्यार है तो फिर नजर भी आना चाहिए
तू चेहरे से दुपट्टा को हटा के आया कर
मैंने कब कहा रोज-रोज शर्माना चाहिए-
उतरा हुआ रंग और उदास तासीर कैसी है
तुम्हारी आँखों मे आखिर ये तस्वीर कैसी है ।
मिलते जो तुम की फरियाद पर अमल समझते,
मिल कर भी न मिले, खुदा ये तक़दीर कैसी है ।-