Saba   (Saba)
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Joined 1 December 2022


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Joined 1 December 2022
9 FEB AT 20:32

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30 DEC 2024 AT 12:32

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25 DEC 2024 AT 9:23

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19 OCT 2024 AT 18:07

छोड़ो यार मुझे मर जाने दो
पुकार रही हैं दीवारे घर जाने दो

मैंने नहीं कहा इज़्ज़त से दफनाओ मुझे
ज़मीन पे ही पड़े जिस्म को सड़ जाने दो...

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12 OCT 2024 AT 12:01

वह मुझे बिल्कुल भी वक्त नहीं देती
उसके आगे भीख मांग कर भी देखा है

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28 SEP 2024 AT 10:58

हरा पीला सदा नीला यार लोगों में कितने रंग है
मूंह एक ज़बान एक और डसने को हजार ढंग है

वो अनाथ ढूंढते रहते हैं गली कूचे में एक अपने को
और यहां कुछ लोग है जो अपने आप से ही तंग है

ये मुंह बोले रिश्ते ही कयामत तक दिखते हैं यहां
वरना खून के रिश्तों में सदियों से छीड़े जंग है

अब तो धोखेबाजी मक्कारी के रंग में रेंगे है सारे लोग
कहने को इंसान पर ईमान जमीर कहां किसी के संग है

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22 SEP 2024 AT 17:40

लबों से लव कभी तो टकराना चाहिए
प्यार है तो फिर नजर भी आना चाहिए

तू चेहरे से दुपट्टा को हटा के आया कर
मैंने कब कहा रोज-रोज शर्माना चाहिए

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22 SEP 2024 AT 12:52

मेरे मज़हब में ख़ुदखुशी हराम है वरना
ख़्याल बड़े कमाल कमाल के आते है

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22 SEP 2024 AT 8:04

मुसीबतें थूक कर चली जाती है "सबा"
मुझसे तो अब ठीक से रोया भी नहीं जाता

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21 SEP 2024 AT 12:45

उतरा हुआ रंग और उदास तासीर कैसी है
तुम्हारी आँखों मे आखिर ये तस्वीर कैसी है ।

मिलते जो तुम की फरियाद पर अमल समझते,
मिल कर भी न मिले, खुदा ये तक़दीर कैसी है ।

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