Tang aa jata hai meri muhabbat se wo shakhs
Jiski awaaz na sunne par rone lagti hu mein-
Saath achhi Lage to nivana zarur
Mein narm dil sakt mija... read more
Tu hi bata kisse hum teri shikayat kare
Mere bas mei nahi ki tujhse nafrat kare
Tu waqt bhi dene laga hai bheek me hume
Yaar ab jee nahi chahta ki tujhse muhabbat kare
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हम ने जब देखा अपने ही कदम को बहकते हुए
फिर हर बार हम उस से मिले झिझकते हुए
जो किया दिल्लगी का इज़हार उसके सामने
यार मेरी हर रात हर दिन गुजरी है सिसकते हुए
हम दीवानी दुपट्टा तक हटा चुके थे सीने से
हम फिर भी देखे उसके कदम भटकते हुए
मेरी मुहब्बत जैसे मिट्टी की धूल थी उसके जानिब
उसने देखा था उसके पैर पे हमें सर पटकते हुए
अपनी बेशर्मी के किस्से क्या सुनाऊं तुम सब को
मेरा भीख का आंचल ठुकरा गया वो हाथ झटकते हुए
फरिश्ता मान कर हर दम हर पल चाहा जिसको
उस शख्स को देखा ज़िस्म के हाथों बिकते हुए-
Mein kaise maan lu usey mujhse raghbat bhi hai koi
Wo to kabhi tadpa bhi nahi mujhse door reh kar-
छोड़ो यार मुझे मर जाने दो
पुकार रही हैं दीवारे घर जाने दो
मैंने नहीं कहा इज़्ज़त से दफनाओ मुझे
ज़मीन पे ही पड़े जिस्म को सड़ जाने दो...-
हरा पीला सदा नीला यार लोगों में कितने रंग है
मूंह एक ज़बान एक और डसने को हजार ढंग है
वो अनाथ ढूंढते रहते हैं गली कूचे में एक अपने को
और यहां कुछ लोग है जो अपने आप से ही तंग है
ये मुंह बोले रिश्ते ही कयामत तक दिखते हैं यहां
वरना खून के रिश्तों में सदियों से छीड़े जंग है
अब तो धोखेबाजी मक्कारी के रंग में रेंगे है सारे लोग
कहने को इंसान पर ईमान जमीर कहां किसी के संग है-