मिट्टी से बना आदमी एक दिन मिट्टी हो जाता हैं।
फिर जंगलों से बने शहर एक दिन वापस जंगल होंगे?-
जिज्ञासु(विष्णु)
(©जिज्ञासु “vishnu”)
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Joined 12 January 2019
23 JUN AT 0:13
20 JUN AT 23:15
जब बेटियां घर से विदा होती हैं
तो पिताओं का चेहरा ठंडा ,सफेद और उदास
पड़ जाता हैं।
देखो!जैसे हिमगिरि के उत्तंग शिखरों को।
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17 JUN AT 0:40
जो किताब महकती हैं
जरूरी नहीं वो सुखों से भरी हो।
फूलों को तोड़कर, उबालकर इत्र बनता है,
सुख कुछ नहीं दुखों की परतों में धंसा हुआ प्रेम हैं।
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15 MAY AT 15:15
कवि सिगरेट फूंक रहा;सबको लगा वो गम फूंक रहा।
मुझे को यह यूं लगा जैसे कि वो एक जंगल फूंक रहा।-
15 MAY AT 0:01
मूर्खता और समझदारी में इतना सा फर्क हैं।
एक ने कानों में आंखें उगा रखी हैं;
दूसरे ने आंखो में कान उगाए हैं।
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12 MAY AT 17:08
घर से हजारों सिद्धार्थ निकले,
दुःख के समाधान हेतु।
जो लौट आए जागरण के लिए,
वो बुद्ध कहलाए।
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3 MAY AT 18:23
दुःख का रिवाज़ रहा हैं,फूलो को पत्थर बनाने का।
बताओ! तुम कौनसे फूल थे, जो अब संगमरमर हो।-