सोचता हूं कि, अब मैं क्या करूं,
बेवफ़ा से वफा करू, या उसे भूल जाऊँ !
पाश की तरह, उसकी नजर,
बंधु या फ़िर, नजर फ़ेर आंऊ !!-
कुछ को उमड़ती लहरों का सहारा होता है!!
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मुड़ के जो द... read more
कहनी थी कितनी बात, काश तुम सुन लेते।
होठों से ना कह पाया मैं, तुम आंखों से पढ़ लेते।।-
जिंदगी के उलझनों में,
उलझे हुए हैं हम।
थोड़ी गुफ्तगू तुमसे,
और सुलझ जाएंगे हम।।-
कोई तो बात है, आपके दृगों में,
जितना डूबता हूं,उतना सुकून पाता हूं।।-
देवकीनंदन नीलांबर कान्हा,
सर पे मोर मुकुट का ताज रे,
चंचल नटखट माखन चोर,
कान में कुंडल शोभे,
मेरे माधव मन चित चोर रे।-
सादगी से सजी तुम,
श्रृंगार की मोहताज नहीं।
खुली किताब तुम,
मन में कोई राज नहीं।
अपने किरेदार से महकती हो,
इत्र की कोई साज नहीं।
कितनी ही बार देखूं तुम्हे,
देख के दिल भरता नहीं।-
वीरों की भूमि, वीरों की शहादत!
भूल गए हम, या कोई उनका मोल नहीं!!
झाँक के देखो, अपने गिरेबान में!
हम आजाद हुए , या हम अब भी गुलाम कहीं??-
दिल में बात कई, सुनने वाला कोई नहीं,
खुश नहीं हूं, बस उदास रहने की आदत नहीं।
चाहत होती है दिल खोल कर, बातें करने की,
ज़ज्बात अपने जताने की,
किसी को अपना कहने की,
देखता हूं सब व्यस्त हैं ख़ुद में,
चुप हो जाता हूं, बिना कुछ कहे ही,
आरज़ू नहीं रह जाती, कुछ कहने की,
सुन लेता हूं बातें सब की,
कुछ ग़म की, कुछ खुशी की,
जाँच लेता हूं गहराई अपने गम की,
सब के अपने दुःख हैं,
कोई बात नहीं मेरे बातों की,
अंदर ही रो लेता हूं,
क्युंकी आँसू नहीं दिखते दिल की,
ऐसा नहीं कि कुछ कहना नहीं, कोई मेरी भी सुने,
अपने दिल जैसा ढूँढ़ा बहत, ऐसा कोई मिला नहीं,
कोई बात नहीं,अब तो आदत हो गई,
ख़ुद के ग़म को, ख़ुद में दफनाने की,
दिल में बात कई, सुनने वाला कोई नहीं,
खुश नहीं हूं, बस उदास रहने की आदत नहीं।।-
गाँव का एक सच्चा दिल खो गया,
शहर के इस चकाचौंध में...!!-
भावनाओं को समेट के शब्दों में पिरोना,
कविता !
और...
कविता के हर शब्द में आपकी झलक होना,
प्रेम !!-