पूजा के अर्पित फूल हो, अर्धांगिनी का सुर्ख सिंदूर हो,
जीवन की सहचरी, वो जीवनपर्यन्त तुम गणगौर हो!
धरा पर चाँद का टुकड़ा हो, मेरे व्रत का तू आधार हो,
प्रेम अर्ध्य तुम तक पहुंचे वो अनुष्ठान तुम गणगौर हो!
दिये कि शांत लौ हो, रौशनी अपनत्व की चुँहु ओर हो,
दिए बाती का रिश्ता जैसा, वो पूरक तुम गणगौर हो!
रिमझिम से तर विहार हो, मन चितवन चितचोर हो,
आँचल बन जाये सर पर पल्लू, वो तुम गणगौर हो!
सावन की बहकती बयार हो, सौंधी खुशबू प्रेम की हो,
मेघ मल्हार सी सरगम जैसी, वो पायल तुम गणगौर हो!
बदली, मेघ की शहजादी हो, ओस सुबह की लगती हो,
कजरारी आंखों का काज़ल, वो दुल्हन तुम गणगौर हो!
चंदा की सोलह कला हो, सोलह श्रृंगार से परिपूर्ण हो,
सोलह सोमवार का पुण्य, वो सोलह आने तुम गणगौर हो
शिव प्रदत वरदान हो, गौरी का अटल आशीर्वाद हो,
गौर-ईसर सी जोड़ी "राज" वो चाहत तुम गणगौर हो! _राज सोनी-
घणां मीठा लागे गीत च्यार
अठे रा लोग लुगाई मनावे
लोक संस्कृति रा तिंवार-
गणगौर का यह पहला त्यौहार,
लाल चुनरी में सजा हैं मेरा प्यार।
ललाट पर तिलक और कान में कुंडल,
चेहरा लग रहा हैं जैसे आभामण्डल।
नशीली आंखों में लग रहा हैं काजल,
जो कर रहा हैं मेरे मन को घायल।
जुल्फें सँवारी हुई हैं मेरी माशूका ने इस कदर,
मेरा दिल होना चाहता हैं इनमे कैद जिंदगीभर।
उफ्फ...इन गुलाबी होठो का कैसा हैं ये कमाल,
इनको देख मेरे मासूम दिल मे भी मच रहा हैं धमाल।
-
कोणी मिली माटी,
तो पुजी में तो कुकुम,
काजल, मेहंदी री गणगौर,
गोर माता इतना स ही राजी हो जाई,
पुजा तो मन का भाव स पुजि जावे,
बाकी तो करे उतना ही कम हैं!!
-
बांधनी है तुमसे प्रीत से प्रीत की डोर,
तुम बन जाना म्हारा ईसर म्हे बन जाऊं थारी गौर-
घर घर बिराजै ईशर गिणगौर
माटी रां रूप माँय पूजीजै हगळी और
हीरा अर खीर रा जीमण बणावै
गुणगुणा ढ़ोकळा रे सागै जीमावै
मंगलगीता सूँ बाणे मनावे
कोरोना री आफत सूँ सगळा न बचावै
आ अरदास हर और सूँ आवै
🌹आप सगळा नूँ गिणगौरया री मोकळी बधायाँ🌹-
गणगौर है उमंगों का त्यौहार,
फूल खिले हैं बागों में फागुन की है फुलहार,
दिल से आप सब को मुबारक हो,
प्यारा ये गणगौर का त्यौहार-