दुनिया दुनिया करते फिरते,
उस दुनिया में हम भी आते हैं!
गुजरते हैं जिन गलियारों से,
उन ही गलियारों को हम भी आजमाते हैं!
सुना है अक्सर!
कि दुनिया भूला देती हैं,
पर कसूरवार सभी हैं
दुनिया ही दुनिया को रुला देती है!
इस शर्म विहीन दुनिया का ,
हम भी "मंजु"एक हिस्सा है!
हर शख़्स इस दुनिया में,
एक गुजरा हुआ महज़ किस्सा है!!
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Read My pageअक्... read more
समय के गर्भ से क्या बीज फूटेगा
कोई नहीं जानता।
सुकून की दो रोटी खाते हुए भी
मोत से सामना हो सकता है
हर तरफ़ चीख पुकार होकर भी
सन्नाटे में देश है!
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कहते हैं मां बिना मायका कैसा, कुछ हद तक ठीक भी है
पर मायके में गर सम्मान करने वाले भाई भाभी हो तो
मायका जीवंत रहता है!
पर ससुराल में अगर सास ना हो तो, ससुराल, ससुराल जैसा नहीं लगता,यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है!
जब सास होती है तो आपको अच्छे बुरे का भान कराती है
कौन अपना है और कौन पराया इसका भी ज्ञान कराती है!!
एक सास ही है जो आपको हर बात पर टोकेगी
आपके लिए जो सही नहीं है ,वो भी करने से रोकेगी
ऐसा क्यों??
क्योंकि आपकी कड़ी उनके बेटे से जुड़ी है
वो बेटा, जिसमें माँ की जान पड़ी है!
मुझे याद है!
जब मैं गांव जाती थी तब मेरी सास हमारे इन्तज़ार में घण्टों छत पर खड़ी होकर हमारा इंतजार करती हुई मिलती थी!
आज जब भी गांव जाती हूं तो मेरी नज़रें उनको ही ढूंढती रहती है।
मैंने भी बहुत गलतियां की होगी उनको समझने में, पर जब आज पिछे मुडकर देखती हूँ तो केवल उनका निस्वार्थ प्रेम ही याद आता है!
माँ तो केवल हमें जीवन देती है, लेकिन सास उस जीवन को जीने के लिए एक जीवन साथी भी देती है!
मेरी दोनों माँ को मेरा कोटि कोटि नमन 🫡
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सृजन करती
बीज में प्राण भरती
सींचकर अपने खून से
जीव को जीवंत करती
होती तो है आम सी
पर माँ बनकर ख़ास बनती-
प्रार्थना करो कि,सब बहनों के थाल ,
राखी से सजे रहें!
किसी माँ की गोद सूनी ना हो,
हर बेटी की मांग भरी रहे!!
निकलें है जो वीर,धीर
अपने कर्म पथ पर
प्रार्थना करो
लौटे वो सकुशल
करे हम उनका विजय तिलक!!
बनकर कृष्ण, रखकर मुरली
लेकर गये सुदर्शन चक्र
जय हो हिन्द 🇮🇳 की सेना
करते हम बारम्बार तुम्हें नमन 🫡🫡🇮🇳
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कोई शिकायत नही है
जिन्दगी तुझसे
तू गुमनाम कर या परेशान कर
हम भी हारने वाले कहां
मैं अपना काम करूं
तू अपना काम कर-
कल्पनाओं की गली में मत झांक,सुन रही है ना तू,
कितनी बार माँ ने नेहा को समझाया था,पर वो तो पागल थी ना उसके प्रेम में !!
नेहा ने कल्पनाओं में ही संसार बसा लिया था उसके साथ ,
उसकी हर बात उसको पत्थर की लकीर लगती थी !
मां ने समझाया था कि वो तुम्हारे काबिल नहीं है,माँ की पारखी नज़र उस बेरूपीये को पहचान गई थी,पर बेटी की जिद्द के आगे बेबस थी !
आज जब नेहा अपना सब कुछ गंवा कर धोखा खाकर मां की गोद में सिसकारियां भरती है तो उसको वो कल्पनाओं की गली बंजर लगती है!!
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खुद ही खुद की कैद में हूं,
अनंत विचारों की पड़ी जंजीरें!
लाख जतन कर डाले मैंने ,
तोड़ ना पाईं यह जिद्दी जंजीरें!!
हताशा के पड़े हैं ताले,
आंखों में सवालों के जाले
खुद ने खुद से खो दी चाभी,
पाल लिए भरम हजार,
सोच रही बैठ के "मंजु "कैद में
कैसे आऊं खुद की क़ैद से बाहर!!
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