Priyanka Bhati   (©प्रियंका भाटी🖌️)
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Joined 14 February 2018


Joined 14 February 2018
17 SEP AT 22:25

क्योंकि
सब का... हर एक का अपना संघर्ष होता हैं!
किसी को जान कर अनजान बनने तक का संघर्ष!
खुले आसमान में फैली.... खुशबू से
बिखरे पन्नों में.... ख़ुद को
समेटने लेने तक का.... संघर्ष !
नदी के दो किनारों सा.... साथ चलने से
श्रितिज में मिल जाने तक का ...संघर्ष
जन्म लेते बच्चे से .....मृत्यु शय्या पर लेटे हुए
मौत के इंतज़ार तक का संघर्ष...!

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15 SEP AT 23:04

और फिर दूरी.....
सब कुछ निगल गईं!

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24 JUL AT 22:33

आसान कहां होता हैं
कली से फूल हो जाना
तुम से मैं और मैं से तुम हो जाना
और फिर वहीं मिल जाना
जहां से फ़िर स्वीकृत हों जाना....

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25 NOV 2024 AT 23:26

अच्छी भली चल रहीं थी जिंदगी,
फ़िर दोस्तों ने शहर बदल लिए।

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24 NOV 2024 AT 15:08

बेमानी हवाएं शाखाओं को बख़ूबी मचला रही है,
जड़े हैं कि ज़मीर को हिलने ही नहीं दे रही हैं।

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27 AUG 2024 AT 23:44

इच्छा अक्सर सपनो को मार देती हैं ।

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30 JUL 2024 AT 21:33

बोझ ढोता आदमी
कोई फरक नहीं
गांव और शहर में
बस बोझ ढोता आदमी
फिर कोई फरक नहीं
अमीरी और गरीबी में
बस जिंदगी को ढोता आदमी।

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8 JUL 2024 AT 23:40

चालणु पण धरम सूं
बैठणू पण भईया म
खाणु पण धीरज सूं
बात करनूं पण होले सूं
जिणु आपका सुपना सूं।

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8 JUL 2024 AT 23:22

बस दे जाती हैं...अनगिनत ख़्वाब,
याद दिला जाती है वो अनछुए लम्हे
जिन्हें कभी जिया ना गया हों
बस महसूस करा जाती हैं...
अधुरी रह गईं बातों को।

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18 MAY 2024 AT 10:57

Not perfect but be realistic.

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