खोज खत्म हो चुकी है
तुझे खोजने की
तुझे पाने की
यूँ ही तुझे जी भरके देखने की
तेरे करीब आने की
तू दूर ही रह मुझसे
जहॉं पहले रहा वही रहे
मैं अकेलेपन को संभाल लूँगी
क्योंकि तेरे होते हुए भी
मैं अकेले ही हूँ
तू बस संभाल खुद को
दूसरों को
मैं तो संभल ही जाऊँगी ॥-
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मैंने खुद को शीशे में बहुत कम देखा और उसका असर ये रहा कि मुझे खुद का चेहरा भी याद नहीं रहता, पंसद नहीं आता, जो लोग मेरा चेहरा देखते होंगे उन्हें कैसा लगता होगा, मुझे खुद को शीशे में देखना अच्छा नहीं लगता !
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अब जब भी तू तेज आवाज़ में कुछ बोलता है
यूँ ही बेतमीज होकर कुछ बोलता है
दिल बस खामोश हो जाता है
शायद तू बदल चुका है
और मुझे इस बदलाव को स्वीकारना होगा
तू सिर्फ़ खुद से प्यार करता है
मैं तो कहीं आती ही नहीं..-
एक अरसा हो गया तुझसे बात किए
पहले सोचा शायद हम संभल जाएँगें
गलत मैं हूँ, मेरे पैदा किये हुए हालत है
अब जो मैं संभली हूँ तो अहसास हुआ
तुझे कभी मेरी जरूरत थी नहीं
तुझे बस रिश्ते की ज़रूरत थी
अब तेरी मेरी बात नहीं होती
बस हम एक दूसरे को जरूरी बातें बताते है
फ़र्क़ इतना है तू अपना दिल
किसी और के साथ बॉंटना जानता है
मैं अपने दिल को समेट लेती हूँ ॥-
The loneliest job in this world is to wait for someone that you know will never come back to wipe your tears..
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लिखे गये खत्त उन्हें कई
पर खता हमसे इतनी हुई
उन्हें हमारी माफी दिखी
पर प्यार की कमी ही रही
वो हमें माफ करते गए
हम खुद में ही सिमट गये
खत्त लिखने छोड़ दिए हमने ॥-
you and yourself more and more..
the more you think about yourself you remember someone less..less you remember them more you start forgetting them❤️🩹-
“ समय “
ये समय ही तो है, जो तुम्हें खुद से मिलाता है, जो तुम्हें बताता है, खुद के बारे में..दूसरों के बारे में, समय ही इंसान की पहचान कराता है, बुरा समय है तो वो इंसान कैसा होगा तुम्हारे साथ..अच्छा समय होगा तो वो इंसान कैसा होगा तुम्हारे साथ ! मुझे लगता है, सब अपनी अपनी परीक्षाओं में भूल जाते है कि एक परीक्षा है जिसमें हर कोई शामिल है, समय की परीक्षा ! कभी किसी जिंदगी बहुत कुछ पाने की प्रतीक्षा करने में निकलती है तो कोई बहुत पहले ही सब कुछ पाकर भी प्रतीक्षा में है ! ना समय की किसी से दोस्ती है ना ही दुश्मनी पर सबके अपने अपने किस्से है, अपनी अपनी कहानियाँ ! वो समय ही तो है, जिसकी सभी को ज़रूरत होती है, वो चाहे पढ़नी हो अपनी मनपसंद किताब या अपना मनपसंद शख्स, उसके लिए समय निकल ही आता है, या निकाल ही लिया जाता है, अब पता ये करना है कि मनपसंद क्या है क्या नहीं ? कभी कभी अपनी पसंद को ही दूसरे की पसंद पर थोपने लगते है, पर क्या थोपना प्यार होता है ? वो तो बस अपनी खुशी के लिए करते है, सामने वाले की किस चीज़ में खुशी है, अगर ये जानने की कोशिश की ही नहीं तो क्या किया ?! लोग कहते है, समय का अपना ही इलाज है, वो बड़ा सा बड़ा घाव भर ही देता है, पर उस घाव को भरने में जो वक्त लगता है, वो कितना ज्यादा असहनीय होता है, ये सिर्फ़ वो इंसान ही जानता है ! सोचती हूँ, अगर कभी समय खुद एक इंसान होता तो क्या वो खुद से दोस्ती कर पाता ?! क्या वो खुद को हर परिस्थिति में समझा पाता ?!-
मुझे लगता है मेरे हिस्से आयी उन नायिकाओं की कहानी जिनके हिस्से की कहानी में मैंने प्रेम को एकतरफा लिखा !!
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I became careless for myself and caring for the special one
and a kiddo for the special one..-