Sankita Agrawal   (Sankita agrawal)
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Joined 17 September 2017


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Joined 17 September 2017
23 JUL AT 7:26

डियर सीलन

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17 MAY AT 15:10

प्रेम था तो सवाल थे
मालूम हुआ रिश्ता है, चलाना ही है
सवाल भी खत्म हो गए और उम्मीद भी !

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12 MAY AT 9:56

I made my whole life wrap around you in thoughts, in each and every second of my daily life Whenever I’m not busy in working, aloof but the thing I forget is that you don’t ! I forget to see the other side of window that nature was looking dull ! I was trying to making it beautiful, heard, giving attention doesn’t mean that you will be getting loved, now the thing is when I have understood that you can’t provide me the love, loyalty I want.. I want to be on the other side of ocean.. full of receiving love on my own that I used to do before when I was aloof but happy on my own.

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7 MAY AT 7:07

डियर मनदिल

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5 MAY AT 7:10

डियर मनदिल

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1 MAY AT 21:22

ना मैं तेरी पहली मोहब्बत
ना तेरी आख़िरी
मैं तेरा वो रिश्ता जो तू जानता
जिसे तू निभाना जानता
जिंदगी भर का रास्ता नाप लेंगे
एक दूसरे को सँभालेंगे
मुझे तुझे खुद को सँभालना जानता
परवाह मेरी करता फ्रिक मेरी रखता
क्या ही फर्क है, मालूम होने पर कि
मैं वो नहीं जो तेरे दिल के राज़ जानती
ना तू बॉंटना चाहता, उतना क़रीब मुझे रखना चाहता
काफी है, हम दोनों का दुनिया के सामने एक होना
ना तू मेरा प्रेमी ना ही मैं तेरी प्रेमिका
रिश्ता अपना ऐसा जैसा खट्टा मीठा ॥

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28 APR AT 7:15

खोज खत्म हो चुकी है
तुझे खोजने की
तुझे पाने की
यूँ ही तुझे जी भरके देखने की
तेरे करीब आने की
तू दूर ही रह मुझसे
जहॉं पहले रहा वही रहे
मैं अकेलेपन को संभाल लूँगी
क्योंकि तेरे होते हुए भी
मैं अकेले ही हूँ
तू बस संभाल खुद को
दूसरों को
मैं तो संभल ही जाऊँगी ॥

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27 APR AT 22:36

मैंने खुद को शीशे में बहुत कम देखा और उसका असर ये रहा कि मुझे खुद का चेहरा भी याद नहीं रहता, पंसद नहीं आता, जो लोग मेरा चेहरा देखते होंगे उन्हें कैसा लगता होगा, मुझे खुद को शीशे में देखना अच्छा नहीं लगता !

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27 APR AT 21:38

अब जब भी तू तेज आवाज़ में कुछ बोलता है
यूँ ही बेतमीज होकर कुछ बोलता है
दिल बस खामोश हो जाता है
शायद तू बदल चुका है
और मुझे इस बदलाव को स्वीकारना होगा
तू सिर्फ़ खुद से प्यार करता है
मैं तो कहीं आती ही नहीं..

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27 APR AT 21:35

एक अरसा हो गया तुझसे बात किए
पहले सोचा शायद हम संभल जाएँगें
गलत मैं हूँ, मेरे पैदा किये हुए हालत है
अब जो मैं संभली हूँ तो अहसास हुआ
तुझे कभी मेरी जरूरत थी नहीं
तुझे बस रिश्ते की ज़रूरत थी
अब तेरी मेरी बात नहीं होती
बस हम एक दूसरे को जरूरी बातें बताते है
फ़र्क़ इतना है तू अपना दिल
किसी और के साथ बॉंटना जानता है
मैं अपने दिल को समेट लेती हूँ ॥

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