Dear Zindgi..🤗🤗
तेरे नखरे भी,
मुझपर ,
गजब ढाते हैं ,
एक दिन हँसाकर,
मुझे,
महीनों तक,
रुलाते हैं..!!!!-
देखो न कितने फासले हो गये हैं
तुम से वक़्त पे एक फैसला नहीं लिया गया
और आज अफ़साना बनाने की बात करते हो।-
डूबी मेरी कश्ती बहुत ही दूर किनारे हैं
मौत से खेलने के अज़ब ये शोख़ हमारे हैं
लगे शाह ख़ुद को फ़ख़्र भी किया खुदपर
माँ ने अपने हाथों से जब मेरे गेसू सवारे हैं
मेरा हमदम बहुत करता है मेरी परवाह
इस उम्मीद में लुटे जाने कितने बेचारे हैं
किसी चीज की न कमी महसूस होती है
मुहब्बत की तरफ से आज भी ख़सारे हैं
बना इश्क़ दिखावा न कुछ और है बाक़ी
कहते बाबू सोना हैं पर नहीं होते हमारे हैं
ऊँची जात की हूँ मैं तुम्हारी जात छोटी है
इस एक बात ने जाने कितने घर उजाड़े हैं
वो जो अहल-ए-दिल थे हैं मायूश वो बैठे
सहारा देते थे सबको ख़ुद बैठे बेसहारे हैं
किसी यतीम से पूछो हक़ीक़त ज़माने की
दरवेशी और भूख ने कितने धक्के मारे हैं-
.......ky khub likha atul ji ne.......
आखिर इस रिवाज़ को,
कब तक निभायेगे |
निकलिये इस अंदाज से,
वर्ना तमाशा बन जायेगे | 😊-
हैरतअंगेज दुनिया,
सीधे-सीधे बात कह दि जाए,
तो इंकार या सवाल करते हैं ।
मक्खन सी बातों के शौकीन है,
और फिर मलाल करते हैं ।-
तेरी आंखो को देखकर, मुझे ख्याल आता है
आसमान में काला चांद, क्या गज़ब ढाता है
-
In Aankho ka bhi jhukana gajab dhata hai..
Ye jise dekh le use ishq ho hi jata hai..-
"क्या बताऊँ सनम ,
प्यार में इतना गम ,
होके हमसे जुदा तुम कहाँ
ये बताना भी मुश्किल गजब हो गया|"-
Copy, paste करने वाले
ये copy, paste करने वाले भी
क्या ग़जब ढा रहे।
दूसरों की शायरी चूरा के अपना बना रहे।
नक़ल पर भी असल से ज़्यादा
वाहवाही पा रहे।-
सड़को पर कत्लेआम देख कर चुप रह जाते हैं सब,
क्योंकि इस दौर में इंसान सिर्फ अपनी करता हिफाज़त है
दूसरों को मारने के लिये खुद को मजबूत करता है हर कोई
न जाने ये कैसी बग़ावत है-