उसके बाद ज़िन्दगी फ़कत बसर हो रही है
ख़ुशी न इधर हो रही है, न उधर हो रही है।
اسکے بعد زندگی فقط بسر ہو رہی ہے
خوشی نہ ادھر ہو رہی ہے نہ ادھر ہو رہی ہے-
फक़त इन्सान ही तो है वो शख्स भी
मुहब्बत में जिसे तुम खुदा कहते हो!-
मैंने उस ख़वाब का इक ख़्वाब देखा है,
तख़य्युल में तबीयत जरा ख़राब देखा है,
गुज़रे वक्त की एक कविता लिख रहा मैं,
मंजिल में अकेले तमसील का रुत देखा है।
लोग कहते रहे मोहब्बत ऐसी है वैसी है,
तस्वीर अधूरी थी फसाकर दिल में फ़क़त दूरी की,
रात के अंधेरे में सितारे बहुत खूब चमकते है,
याद है दामन-ए-इश्क़ तभी तो हमने उसने दूरी की।
कोई हवा कहता है तो कोई पानी कहता है,
समझने वाला इश्क़ को कभी क्या अपना कहता है,
मेरी बिसात क्या नसीब के आगे मिट्टी से जुड़े है,
ज़मीं को पस्त और उस आसमां को मस्त कहते देखा है।
जो बात मुंह में है वो सभी को कह कर देखा है,
हर एक चीज़ खुदा की रहमत से ना तौल मेरे दोस्त,
क्या है ना कुछ तो हार से सीखा होगा जीत ने,
तभी तो उसने सबको अपनी ओर करके रखा है।-
सोच में फर्क
तेरी और मेरी सोच में फ़क़त फर्क इतना है ।
मैं जिसे प्यार कहता हूँ, तुम धोखा समझती हो।-
साथ जीने का वादा अक़्सर टूट ही जाता है
कुछ वक्त हो तो चल एक साथ मर लेते हैं...-
chaaho to tod do mujhko pyaar se faqat..
mujhme nafrat se jude rehne ka hausla nahi..!!-
प्यार,
मोहब्बत,
प्रेम,
इश्क़ नहीं,
हम तो फ़क़त तेरा नाम लिखते हैं।
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इश्क़ भी शराब की तरह सरे आम लेती है..!
दुश्मनी भी लोगों से सरे आम लेती है..!!
ऐसा करना उसका लोगो को मुतासिर नहीं करता..!
बातों से पता चलता कि नफरतें सरे आम लेती है..!!
फक़्त मैं भी उसे समझा लेता कुछ बोल कर मगर..!
वो धमकी भी हमें सरे आम देती है..!!
अब हमें लगता भी नहीं की वो इश्क़ के काबिल भी है..!
जो मरने के लिए हमें ज़हेर भी सरे आम देती है..!!-
और पुर-सुकूँ होती हैं वो हिकायतें..
आग़ाज़-ओ-अंजाम जिनके,,
फ़क़त हम ही से हैं ❣️-