Anant  
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किस कहानी का कौन सा क़िरदार हूँ मैं
बस चल रही है तलाश, खुद की खुद में...
Joined 14 June 2018


किस कहानी का कौन सा क़िरदार हूँ मैं
बस चल रही है तलाश, खुद की खुद में...
Joined 14 June 2018
13 JAN 2019 AT 21:08

चाय ठंडी हो रही है
दो कप, उस शाम के इंतजार में
पियालों पे तेरे होंटो के निशान
जो शायद ही उन्हें नसीब हों
ओर मुझे वो शाम

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6 DEC 2020 AT 17:44

सो गया वो ठंड में फुटफात पर
आप को तो फर्क कुछ पड़ता नहीं

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16 SEP 2020 AT 18:10

दुनिया ने मुझ को क्या नहीं समझा
इक तू जो मुझ को था नहीं समझा

जब उसे देखा मैंने पहली दफा
ख़ुद से उसको जुदा नहीं समझा

कैसे मैं मानू तूने इश्क़ कि और
दिलरुबा को ख़ुदा नहीं समझा

जो था तक़दीर में वो मान लिया
पर उसे बेवफ़ा नहीं समझा

आपने दुख मेरा नही समझा
मैं ने दुख आपका नहीं समझा

उस को समझा गया बस एक बदन
और किसी काम का नहीं समझा

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12 SEP 2020 AT 18:13

तिरे जाने से क्या खुशी रह गई है
ले दे के तो बस ज़िन्दगी रह गई है

जुदा होके तुझ से ये मैं ने है जाना
मेरी रूह तुझ में बसी रह गई है

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20 AUG 2020 AT 17:55

जब उसे देखा मैंने पहली दफा
ख़ुद से उसको जुदा नहीं समझा

कैसे मैं मानू तूने इश्क़ कि और
दिलरुबा को ख़ुदा नहीं समझा

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11 AUG 2020 AT 7:55

झूम रहा तेरे इश्क में जग सारा मोहन
इश्क का तूने ऐसा स्वाद चखाया मोहन

नाम न जानू कोई में, न मैं जानू संसार
इक तेरे सिवा दुनिया में सब माया मोहन

तुम भी तो मोहन आधे हो राधे के बिन
इसलिए तो कहते सब तुमको राधा मोहन

संसार के हर इक ज़र्रे में है समिल तू
गर तुझको ही न पाया तो क्या पाया मोहन

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2 AUG 2020 AT 17:54

जब से तू गाँव से गया है यार
शहर ए दिल सूखा सा पड़ा है यार

छाँव में जिसके गुजरा बचपन था
वो शज़र आज भी हरा है यार

फोन करता न ही कोई मेसेज
किस के चक्कर में तू पड़ा है यार

वो गई छोड़ के, तो जाने दे
होता क़िस्मत में जो लिखा है यार

चल कहीं बैठ पीते हैं सिगरेट
कितने दिन बाद तू मिला है यार

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28 JUN 2020 AT 18:04

उनकी नज़रों में बेजान हूँ मैं
इक ज़रूरत का सामान हूँ मैं

यूँ तो हासिल नहीं मैं किसी को
पाना चाहो तो आसान हूँ मैं

देख उस को परेशानी में यूँ
क्यूँ हो जाता परेशान हूं मैं

सब को बाहर से दिखता मैं इंसाँ
निकला अंदर से शैतान हूँ मैं

हूँ किसी के लिए मैं ही दानव
और कोई कहता भगवान हूँ मैं

आखरी वक्त पे काम आया
जैसे इक मानो शमशान हूँ मैं

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9 JUN 2020 AT 18:45

नींद पलकों पे रख रातभर सोचा है
क्या बताऊं तुझे किस कदर सोचा है

क्या कभी वो मुझे सोचती होगी भी
मैंने इस बात को उम्रभर सोचा है

सोचता है तू सब हैं गलत, पर कभी
ख़ुद को आईने में देखकर सोचा है

सोचना क्या किसी के लिए रात दिन
क्या कभी तुम ने इस बात पर सोचा है

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29 MAY 2020 AT 18:24

मेरी आंखो में शायद दिखा ही नहीं
और जो कहना था तुमसे कहा ही नहीं

रो रहा था मैं उस शख़्स के वास्ते
जिस को मुझ से कोई वास्ता ही नहीं

पूछा तुमने पता मेरा उस शख़्स से
मेरे बारे में जिसको पता ही नहीं

जान सब कुछ गया मेरे बारे में वो
फिर कहा मैं इसे जानता ही नहीं

थे गढ़े जिस ने किरदार अफ़साने में
ज़िक्र उसका कहानी में था ही नहीं

ज़िन्दगी बन के ता-उम्र था साथ जो
ज़िन्दगी में कभी वो मिला ही नहीं

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