के आज़ फ़िर उसे मिरा ख़्याल आया है
हां ,फ़िर किसी ने उसका दिल दुखाया है
के कुरेदा है मिरे उसके रिश्ते को फ़िर से
घर के झगड़ों में उनके मिरा नाम आया है
वो ताने मारता है उसे ख़ुश भी नहीं रखता
बेवफ़ाई का उसने ख़ूब दस्तूर निभाया है
के मैं रहता हूं आज़ भी उसी घर में तन्हा
जिस घर को तोड़ के उसने अपना घर बनाया है
मिरी मौत से ग़ाफ़िल वो मुझे ज़िंदा समझता है
वो क्या जाने मैंने कितनी दफा ख़ुद को दफ़नाया है
के सिवा उसके मैंने ज़र्रा ज़र्रा भुला दिया हयात
न भूला तो उसे जिसके लिए सब कुछ भुलाया है।-
Proudly An Indian Muslim Turk
Location: Invisible To Human Eye
Kno... read more
मैं वाक़िफ था उसकी फितरत से मगर फ़िर भी
मैंने उसे कभी उसकी औकात याद दिलाई नहीं।-
के रूह में बस जाते हैं वो आहिस्ता आहिस्ता
फ़िर रूह को खाते हैं वो आहिस्ता आहिस्ता।
वफ़ादारों पे कर यकीन ही हयात तबाह हुआ
ख़ून ए जां में डुबाते हैं वो आहिस्ता आहिस्ता।-
आंखों में उतर जाना है
या आंखों से उतर जाना है।
यह फ़ैसला कल भी तेरा था
यह फ़ैसला आज़ भी तेरा है।-
मैं उसे दिल की तरह चाहता था
और वो मुझे जिस्म की तरह!
मैं ज़रा शर्मीला सा था और हूं भी
मुझे सजना संवरना नहीं आता था
उसे बिन मेकअप का मैं नापसंद
मैं चाह कर भी मोडर्न न हो सका
वो समझती मुझे पुराने ख्याल का-
और फ़िर उनसे मोहब्बत का संगीन गुनाह कर बैठे
अच्छी भली गुलज़ार ज़िन्दगी को तबाह कर बैठे।
उसने मुझे इक पल के लिए भी यह सोचने न दिया
खता जानते हुए भी फिर से वही खता कर बैठे।-
वो पूछ रही थी
कैसे हो हयात,
मैं मुस्कुरा दिया
उसने कहा,
तुम आज़ भी
मुस्कुरा लेते हो,
इतनी हिम्मत
आख़िर,
कहां से लाते हो
मैंने कहा,
तू आज़ भी
बादाम खाती है न,
उसने हां बोला
मैंने कहा,
बादाम खाने से
ताक़त आती है
हिम्मत नहीं,
सस्पेंस में आ गई
फ़िर हिम्मत,
क्या खाके आती है?
मैंने कहा,
धोके पगली धोके!
फ़िर वो
कुछ बोले बिना ही,
चली गई।-
दिल ही तो है
भर जाता है
भर गया होगा हमसे
उनका भी
भर जाएगा मेरा भी
आसो उम्मीद से
इंतज़ार से वादों से
मोहब्बतों से...
आख़िर दिल ही तो है।-
के वो दिल दुखाने की वजह भी बता नहीं सकते
और एक हम हैं जो उनके बिना मुस्कुरा नहीं सकते-