तुमको पता है हमको भी खबर है,
क्या है ,कोई जो बेखबर है?
जो कहते है दूर करेंगे ये बीमारी ,वो ही तो इसका सबसे बङा वायरस है।
हर जगह अब तो बस भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का तांता सा लगा है ,ईमानदारी को तो जैसे कसके चांटा सा लगा है।
हा माना कि कानून तो इसके खिलाफ भी बना है,
फिर भी जिसने न दी ,उसका काम आज तक लटका पड़ा है ।
जब सबको खबर है ,तो किस बात कि शर्म है,
जब हर काम इसके बिना असंभव है, तो क्यों न रिश्वत लेने का कानून भी बना दो,क्यों बाकी ये थोड़ी बहुत अड़चन है।।
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