यूँ तो रिश्वत कि कमाई से घर भर जाता है,
लेकिन सच कहूं तो इससे दुआओं का असर जाता है.-
बाजार गया था, मुठठी भर ईमान बेचा,
थैला भर के खुशियाँ ले आया हूँ
कुछ रूपये पडे थे जेब में, सोचा कफन भी ले चलूं|-
मैं भ्रष्टाचार हूँ
गरीबों पर बढ़ता अत्याचार हूँ,
मैं भ्रष्टाचार हूँ।
मैं भ्रष्टाचार हूँ।
मैं समाज में फैली हवा हूँ,
अन्याय बढ़ाने वाली दवा हूँ।
अनैतिकता का मैं स्तंभ हूँ,
बुराई की प्रलय का आरंभ हूँ।
ईमानदारी का मैं भक्षक हूँ,
छल कपट का रक्षक हूँ ।
लालच के खिले पुष्पों का मैं बाग हूँ,
धन के लिए दहकती एक आग हूँ।
गलत दिशा दिखाने वाला व्यवहार हूँ,
बुरे लोगों के जीवन का मैं सार हूँ।
समाज में लीन अनूठा साया हूँ,
मैं दुष्ट अन्यायी माया हूँ।
समाज में आई एक बौछार हूँ,
मैं भ्रष्टाचार हूँ।
मैं भ्रष्टाचार हूँ।-
हमारा प्रेम
तुम्हारा दिल सरकारी दफ़्तरऔर मैं बढ़ता भ्रष्टाचार हूँ!
मेरा कहाँ ठिकाना तेरे बिन? तेरी चाहत से लाचार हूँ!!-
Don't expect the government to catch the corrupt, a judge never convict himself.
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सत्ता का खेल~
ना ही गुल-ए-नग़्मा सुना रहा हूं ना ही पर्दा-ए-साज़ हूं,
शिकस्त की आवाज़ हूं और काली करतूतों का खोलता राज हूँ...
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ना ही गुल-ए-नग़्मा सुना रहा हूं ना ही पर्दा-ए-साज़ हूं,
शिकस्त की आवाज़ हूं और जागने के गीत गा रहा हूं।
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रिश्वत की पीढ़ी
रिश्वत का यहां बोलबाला
चारों तरफ घोटाले पर घोटाला
बुक में नहीं है जिन्दा कही
दौलत में छुपी है शोहरत वही
अपराध है राजकीय भाला
आजाद घूमते देखा हर पैसे वाला
झूठे वादों से ना कोई आस है
कानून पर मुझे पूर्ण विश्वास है
जरा सम्भालो ये वरमाला
अन्यथा पुछेगा तुमसे-तेरा आने वाला
की क्यों??????????????????
रिश्वत का यहां बोलबाला
चारों तरफ घोटाले पर घोटाला-
तुमको पता है हमको भी खबर है,
क्या है ,कोई जो बेखबर है?
जो कहते है दूर करेंगे ये बीमारी ,वो ही तो इसका सबसे बङा वायरस है।
हर जगह अब तो बस भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का तांता सा लगा है ,ईमानदारी को तो जैसे कसके चांटा सा लगा है।
हा माना कि कानून तो इसके खिलाफ भी बना है,
फिर भी जिसने न दी ,उसका काम आज तक लटका पड़ा है ।
जब सबको खबर है ,तो किस बात कि शर्म है,
जब हर काम इसके बिना असंभव है, तो क्यों न रिश्वत लेने का कानून भी बना दो,क्यों बाकी ये थोड़ी बहुत अड़चन है।।
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