यही जवाब है तुम्हारा...!!!
तुम्हारे जीवन के प्रत्येक तम को माता-पिता ने मिटाया,
आसमां छुआने के लिए अपने कमज़ोर कंधों पर उठाया।
हर पल तुम्हारी प्रसन्नता के लिए वे तुम्हारे लिए जिए,
सारी इच्छाएं अपनी दबा ली तुम्हारी इच्छाओं के लिए।
तुम्हारे कामयाब जीवन के लिए हर विपत्ति से लड़े,
उनके ही घर से निकाल दिया उन्हें, हो गए बच्चे इतने बड़े।
"बस गए हम नए जीवन में, अलग परिवार है हमारा,
चलो अब वृद्धाश्रम", यही जवाब है तुम्हारा....!!!
भूल गए माँ की चीख को जो तुम्हारे दर्द में रोई थी,
तुम्हारी भूख नहीं मन भरने के लिए रातों भूखी सोई थी।
भूल गए जब पिता तुम्हारे लिए खिलौने लाए थे,
त्योहारों पर जैसे मिठाइयों के बाज़ार सजाए थे।
संभाला जिन्होंने तुम्हें आज वो ही तुम पर भार बन गए,
छोड़कर महत्वपूर्ण रिश्ते, तुम्हारे नए संबंध-परिवार बन गए।
"थक गया सेवा करते-करते आप बोझ हो हमारा,
चलो अब वृद्धाश्रम", यही जवाब है तुम्हारा.....!!!
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