कुछ बाकी है  
2.5k Followers · 208 Following

read more
Joined 29 May 2020


read more
Joined 29 May 2020

मैं बैठा रहा जगनुओं को साथ लेकर ,
कुछ तो नहीं मिला ख़ुद को ख़ुद से खोकर ,
मैं पंजर हो गया तेरी राह देखते देखते ,
ये जुगनू भी मर गए मुझे मरता हुआ देखकर ।।

-



मैं तुम पर लिखना चाहता हूँ -
इक उपन्यास , कुछ कविताएं,
कुछ कहानियां,कुछ ग़ज़लें 
और कुछ गीत भी ।
ताकि मैं बता सकूं दुनियां को ,
की तुम उपन्यास की तरह पढ़े जाने लायक हो ,
तुम कविताओं की तरह मंचों पर सुनाने लायक हो ,
तुम कहानियों की तरह कहे जाने लायक हो ,
तुम ग़ज़लों की तरह गाये जाने लायक हो ,
और गीतों की तरह गुनगुनाने लायक हो ।
और अंत में तुम पर इक चिट्ठी लिखना चाहता हूं ,
जिसे पढ़ो सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम .....

-


25 AUG 2024 AT 18:54

हम इक साथ आज़ादी के गीत गायेंगे ,
हम साथ मिलकर कैंडल मार्च निकलेंगे ,
मेडल लाने पर हम खुशियां मनाएंगे ,
हम स्वतंत्रता दिवस पर स्टेटस लगाएंगे ,
पर हम भूल जाएंगे इक नागरिक होने की भावना ,
हम नज़रंदाज़ कर देंगे उन हवस से भरी निगाहों को ,
जिसे फोड़ देना चाहिए था ,
हम अनसुना कर देंगे उन चीखों को ,
जिन्हे जरूरत थी इक सहारे की ,
हम गला घोट देंगे उन सपनों का ,
जिन्हें जरूरत थी इक लंबे उड़ान की ,
हम मिलकर बस तमसा देखेंगे –द्रोपदी के चीर हरण की ।।

-


11 JAN 2024 AT 9:39

इक लाचार पिता को देखा है तुमने?
हां वही पिता ...
जो नही ला पाता मेले से खिलौना कोई,
हां वही पिता ....
जो नही दिला पाता दिवाली पे अपने बेटे को नए कपड़े कोई,
जलेबी खाने को तरसा है बच्चा जिसका ,
फीस न जमा होने पे खाया हो डांट स्कूल में जिसका बच्चा ,
होली में न खाई हो गुझिया जिसने ,
भूखे पेट हो सोया जिसका बच्चा ,
हां वही लाचार पिता ...
पिता होने बहुत कठिन है ।।

-


25 AUG 2023 AT 12:51

ये शाम उधारी वाली अब और अच्छी नहीं लगती ,

मैंने तो बस इक रात मांगा था तुमसे ,दिल लगाने को ।

-


10 NOV 2022 AT 20:35

इक अरसा लगाकर तराशा मैने उस आईने को ,
इक दिन हाथ से छूटा ,और बस बिखर गया ।।

-


16 OCT 2022 AT 23:25

मुखौटो वाली गली



Please read the captain

-


14 OCT 2022 AT 11:19

मेरा कमरा

बहुत छोटा सा है कमरा मेरा ,
इक दरवाज़ा, इक खिड़की और इक रोशनदान।
खिड़की मैं कम ही खोलता हूं ,
क्योंकि मुझे अंधेरा पसंद है ।
रोशनदान को मैंने पेपर से बंद कर दिया है ,
और दरवाज़ा हमेशा अंदर से बंद रखता हूं ।
इक टेबल और इक कुर्सी है कमरे में ,
मैं कभी कभी बैठता हूं उस पर ,
पर कुर्सी खाली नहीं रहती ,
उसपे बैठी रहती है इक लाश ,
लाश ..मेरे सपनों की ,जो मर चुकी है इक अर्शे पहले ।
कमरे में इक पंखा लगा है ,
कुछ दिन से बहुत आवाज़ करने लगा है ,
वो अकेला है कमरे में जो कुछ बोलता है ।
कमरे की दीवारें सुंदर तो नही है पर मजबूत है ,
जो मुझे बचाए रहतीं है पूरी दुनिया से ।

-


19 SEP 2022 AT 0:37

ये शाम उदास तो नही ..
मैं बस बोलता चला जा रहा हूं
मेरी बातों में मिठास तो नही ...
अंधेरे में मैं खुद को देख लेता हूं ..
ये मैं ही हूं या कोई लाश तो नहीं ...

-


13 JUN 2022 AT 18:40

सुनो ......
कभी निहारा है खुद को आईने में?
नही न ?
आओ मेरे पास बैठो..
देखो तो मेरी आंखो में,
क्या दिख रहा तुम्हे इक खूबसूरत चहरा ?
ये वही है जो मेरे लिए है गीता के समान....
जिसे पढ़ते ही मिल जाते है हल ,
मेरे जिदंगी के उलझे पहलुओं के सभी ,
अब थोड़ा और करीब आओ..
क्या दिख रही तुम्हें इक खूबसूरत आंख ?
ये आंखे पवित्र है गंगाजल के समान....
जिसे छूते ही धूल जाते है,
जिदंगी के पाप सभी ।।

-


Fetching कुछ बाकी है Quotes