आज उस चाँद को भी ग्रहण लग रहा है
जिसे देखकर मैं रातें गुजरता हूँ ।-
बस लगने ही वाला है ग्रहण कुछ देर में,
फिर मेरा चांद चला जाएगा कुछ देर में,
कितने दिनों बाद तो ये पल आया था,
अभी तो हम खोने ही वाले थे तुम्हारी बाहों में,
कमबख्त ये जालिम दुनिया ना मिलने देगी हम दोनों को,
ऐसे विचार मत लाना अपने दिमाग में, मैं यही मिलूंगा तुम्हें फिर अगली पूर्णिमा की चांदनी रात में,
कि तुम आना फिर से उसी लिवाज में,
मैं यही आंखें बिछा दूंगा तेरे दीदार में....
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✍️✨MY ORDERED ACTIONS ON COMMENTS - At YQ✍️✨
(Based On Its Nature)
How Will I Prefer, Prioritise My Commenting Order
If I Have Ton Of Comments In Front Of Me
And If I Am Already Familiar With Their Nature
(grammatical mistakes, motivational, thankful,
funny, energetic, introductory, worst with vulgar words).
My Ordered Actions To Pick Comments Will Be:
1) Grammatical mistakes - Will Suggest For Improvement
2) Worst with vulgar words - Will Contact YQ For Account
Deactivation By Dropping Them A Mail With Screenshots
3) Motivational - Will Thank Them
4) Thankful - Will Thank Them
5) Energetic - Will Thank Them
6) Funny - Will Reply In Funny Mood
7) Introductory - Will Want To Know About Them Too.-
ये चमकता हुआ चांद जो तेरे मेरे
मन को लुभा रहा है
थोड़ी ही देर में ग्रहण के
चंगुल में जा रहा है
पर धीमे से कानों में
एक राज़ बता रहा है
मेरी खूबसूरती पर
जितने यहां मरते हैं
सुनकर मुझ पर
संकट की खबर सब अपने
घरों में दुबक जायेंगे
"ऊं नमो भगवते वासुदेवाय"
मंत्र जाप में लग जायेंगे।
सही भी है... संकटहरण जब
खुद संकट हो तो उनको
कौन बचाएगा ??
अपने हिस्से का संघर्ष
सबको खुद ही करना होता है।
रात का संकट तो मैं स्वयं झेल जाऊंगा,
कल सुबह आपके लिए आफताब लाऊंगा।-
सदानीरा सी मुस्कान तुम्हारी
भावों सी भरी आंखें
पूर्णिमा सी मुलाक़ात अपनी
अब हैं ग्रहण की आहें-
लग गई ,लग गई ,लग गई ...
कल उस चाँद की चांँदनी को भी नजर लग गई ...,,
बड़ा गुरूर था उसे अपनी चाँंदनी पर,
लगता है ......
आशिकों की बद्दुआ लग गयी...-
ग्रहण जो लगा चाँद पर हट भी गया
पर मेरी खुशियो पर लगा ग्रहण नही हटता !-
चांद को बड़ा गुरुर था अपने चांद होने पर,
जब ग्रहण लगा तो अकल ठिकाने आयी।।-
Sab keh rahe hai aaj chandra grahan hai
Jab dharti se dhak jata hai Chaand
Surkh sa ho jata hai
Beete kuch palon se soch rahi hun
Kya mere chand pe bhi grahan hai
Dhak diya hai use kisi ne apni parchai se
Aur mai samne khadi dekh rahi hun bebas lachaar bus surkh si ankhe liye!!!-