अपनी सारी जरूरतों को हम जैसे भुला बैठे है ....की अपनी सारी जरूरतों को हम जैसे भुला बैठे है ....की एक तेरी खुशी के आगे हम अपने सारे अरमान लुटा बैठे हैं,वादा जो किया था अपनी मां से,की वादा जो किया था अपनी मां से हम आज भी उसे निभा रहे हैं ।देख हम तेरी खुशी के आगे अपनी सारी खुशी भुला बैठे हैं।
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साथ देना चाहो तो दे सकती हो ...x2
हाथ बढ़ाए कबसे खड़ा हूं,
चाहो तो थाम सकती हो ...-
कभी कभी जब भटक जाते हैं, तो तुम्हारी गलियों से गुजर जाते हैं ...
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तेरी यादों में ही जियें जा रहा हूं मैं....x2
तेरी दियें वो कसमें आज भी निभायें जा रहा हूं मैं।।-
वो अक्सर हमसे बात करते करते यूं खामोश हो जाया करती हैं,x2
न चाहते हुए भी वो अपनी सारी फीलिंग्स को अपने सीने में ही दबा दिया करती हैं ...
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मतलबी इस जहां में कुछ ऐसे भी रिश्ते हुआ करते हैं,x२
जिनसे लेना देना तो कुछ नहीं,पर फिर भी हम निभाया करते हैं ।।-
हैं तमन्ना हमें तुम्हे कबसे दुल्हन बनाने की,x२
क्या तुम्हे भी आरजू हैं ,x२
हमारे नाम का सिंदूर अपने मांग में लगाने की ।-
अरे मुंह से न सही, इशारों में ही सही,अपने लब्जों को बयां तो करो,अरे भीड़ में न सही,अकेले में ही सही,कभी मेरा हाथ थामा तो करो ।।
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मैंने जिंदगी को चुना
तुमसे मिलने के बाद,
कि मैंने जिंदगी को चुना
तुमसे मिलने के बाद,
पहले तो सिर्फ सांसें चल रही थी
कि पहले तो सिर्फ सांसें चल रही थी,
पर अब जीने लगा हूं मैं,
तुमसे मिलने के बाद....-
अपनी इस आदत को छोड़ तो नहीं दोगे,
कि अपनी इस आदत को छोड़ तो नहीं दोगे,
हमें अपना बना के कहीं,
कि हमें अपना बना के कहीं,
हमसे मुंह मोड़ तो नहीं लोगे ...
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