अपना घर पराया हुआ अब दूसरे का घर जाना है।
बाबुल की बग़िया से ख़ुशी ख़ुशी तुझे उड़ जाना है।
अपना घर छोड़ कर एक दिन तो जाना पड़ता है।
अपने परिवार से दूर नया रिश्ता बनाना पड़ता है।
कोई भी ग़म तुझ पर ना आ पाये।
नई ज़िन्दगी में तू हमेशा मुस्कुराये।
ख़ुश रहना, खुशियाँ बिखेरना।
सब को साथ लेकर तू चलना।
शादी बहुत मुबारक़ हो तुझको शिफ़ा।
अल्लाह तुम्हें ख़ुश रखे मेरी है दुआ।-
आ गया है विदा होकर बहना के जाने का दिन.
नए घर में खुशियों भरा आसियां बनाने का दिन.
छोड़कर अपना घर, परिवार, आँगन, सब कुछ,
नये जगह में अपनी नई दुनियां बसाने का दिन.
मैं जानता हूं तुझे यहाँ हर ख़ुशी दे नहीं पाया
तुम्हारे भी कुछ सपने थे वो पूरा कर नहीं पाया.
दुआ है की अब तुम्हारी हर ख़्वाहिश पूरी हो.
तुम्हें वो सब कुछ मिले जो तुम्हें जरुरी हो.-
Itna gum to dulhan ki bidai pr bhi nhi hua..........
Jitna tumhare jaane ka hua 😘-
बचपन में जिसपर इतना प्यार लुटाते है
एक पल में उसे पराया कर जाते है
थोड़ी सी भी उसपर दया न दिखाते है
और उसका कन्यादान कर देते है
बिदाई पर कितने आँसू बहाते है
आखिर क्यों बेटियों को ही अपने घर से पराया बनाते है।-
"बड़े अनोखे होते है,
ये खून के रिश्ते भी।
मांग में चुटकीभर
सिंदूर के पड़ते ही
पराया होने का
एहसास करा देते है।"
❤️-
जाने वो कौन सी घड़ी थी .........2
जो ये रीत बन पड़ी थी........2
पिता चाहता था मुड़ के रोक लेना!!
क्या करे जग की रीत बहोत बड़ी थी!!
जान भी ले गए जहां भी ले गए,,
पता नहीं किस हाल में मेरी कली होगी!!
हाल पूछ ले कैसे कही वो व्यस्त होगी ,,
रीत के हाथों मजबूर होकर बेबस !!
रहने देते हैं वो कमजोर हो जाएगी...........
मेहमान बनकर अब हम उसके घर वो अपने मायके आयेगी!!
माँ!! समान छुट ना जाए सब समेट कर रखना!!
सदा सौभाग्यवती रहना हमेशा मुस्कराती रहना,,
तभी गाड़ी की आवाज़ आयी खैर छोड़ो ये सब,,
बेटी जाओ .........😒😒😔😔🥺
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मेरा ये पोस्ट संगीत जी, जो हमारी मित्र हैं
उनकी पोस्ट से प्रेरित हैं जिसका शीर्षक हैं
"विदाई "
हर एक लड़की की ख्वाइशें होती हैं, उम्मीदें होती हैं और मन मे डर भी होता हैं की पता नहीं जिससे शादी हो वो कैसा हो?
घर का माहौल कैसा हो?
इन्ही सब का एक प्यारा सा जवाब हैं इसमें पढ़ियेगा ज़रूर 🙏🙏-
आज हो गई उसकी विदाई
आज सालों बाद घर में ऐसी खुशियों की सौगात आई,
पर आज किसी और के साथ हो गई उसकी विदाई।
पिता के कंधों पर बैठकर जिसने देखी थी दुनिया सारी,
पर आज किसी और के साथ हो गई उसकी विदाई।
माँ के साथ जो करती थी साज,श्रंगार और घर का सारा काम,
पर आज किसी और के साथ हो गई उसकी विदाई।
जो भाई के साथ खेल और बचपन से करती थी लड़ाई,
पर आज किसी और के साथ हो गई उसकी विदाई।
सालों सबने संजोए था सपना इस शुभ दिन का,
पर आज आंसूओं की बारिश में किसी और के साथ हो गई उसकी विदाई।
❤️(अल्फाज़ - ए - रोहित)❤️
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