Aftab Ali   (AFTAB)
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Date of Birth- 16th Aug

शुक्रिया
Joined 4 September 2019


Date of Birth- 16th Aug

शुक्रिया
Joined 4 September 2019
5 JUN AT 19:55

चाहें अपना हमराज़ बना लो या अपना हमदर्द
चाहें बाँट लो एक दूसरे की ख़ुशी और ग़म

चाहें जितनी कोशिश कर लो रिश्ते बचाने की
लेकिन लोग बदल जाते है जैसे हों कोई मौसम

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4 JUN AT 18:39

18 नंबर की जर्सी पहनकर 18 साल से ये आते रहें
हँसते रहें रोते रहें और न जाने कितनों को रुलाते रहें
लेकिन हर बार जी जान लगा कर लड़ते रहें
उछलते रहें, चीखते रहें और दहाड़ते रहें
आख़िर कब तक ये ट्रॉफी इनसे दूर रहती
आख़िर कब तक ये किंग को निराश करती
फिर एक दिन 18 साल की मेहनत रंग लायी
03 जून की रात फिर इनकी आँखें नम हुई
लेकिन इस बार आंसू ख़ुशी के थे
जो वक़्त से पहले छलक रहें थे
हर साल की मेहनत इनके आँखों के आगे आने लगी
कोशिश तो बहुत की साथियों के साथ लेकिन जीत न मिली
लेकिन इस बार ट्रॉफी इनके हाथों में थी
इस बार जीत की ख़ुशी इनके आँखों में थी
इस बार इनके चाहने वाले ख़ुश थे
क्यूंकि हम सब के विराट कोहली ख़ुश थे

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29 MAY AT 20:40

किसी बादल की घटा लगती है
किसी बुज़ुर्ग की दुआ लगती है

जब ये लिखती है हाल ए दिल
किसी शायर की सदा लगती है

रखती है जब ये नज़रें झुकाकर
किसी मासूम की हया लगती है

रिश्तों को निभा लेती है दिल से
किसी अपने की वफ़ा लगती है

ज़िन्दगी के रास्ते में चलते हुए
किसी सफ़र की फ़ज़ा लगती है

चाहें जो भी बोलो आफ़ताब
शिफ़ा प्यारी सी शिफ़ा लगती है

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25 MAY AT 11:54

एक वक़्त के बाद जब सब्र आ जाता है
तब दिल को तन्हाई रास आने लगती है

फिर ये यादें नहीं रुलाती और तड़पाती
जब रात को ज़िम्मेदारी जगाने लगती है

ख़ुद की ख़्वाहिश का ख़्याल फिर किसे
जब हर दिन ज़िन्दगी आज़माने लगती है

ये ग़मों का शोर फिर सुनाई नहीं देता
जब राह चीखने और चिल्लाने लगती है

गुलिस्तां से बच-बचकर निकलना पड़ता है
जब ग़ुलाब की कली कांटे चुभाने लगती है

हलचल करता है जब मन के अंदर मन
तब एक कलम साथ निभाने लगती है

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14 MAY AT 16:55

ये अलग बात है दिल का दर्द भुला ना पाये
सुकून से अपने आँखों को हम सुला न पाये

एक वक़्त था बहुत ख़ुश-मिज़ाज रहते थे हम
अये ज़िन्दगी तेरे कदम से कदम मिला न पाये

बहारों के इंतज़ार में ना जाने कितने पतझड़ देखे
ज़ख्म काँटों से खाये पर एक ग़ुलाब खिला न पाये

आसमां के तारे मुझे देख कर अब चिढ़ाने लगे है
उस चाँद को आँगन में अपने हम बुला न पाये

रह रह के ऐतराज़ करता है मेरा दिल मुझ से
ख़ामोशी चीख पड़ी पर दिल को बहला न पाये

यूँ तो कई पन्ने कोरे रह गए ज़िन्दगी के आफ़ताब
रख कर भूल गए पर कुछ यादों को जला न पाये

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10 MAR AT 12:24

जोश, जुनून, जज़्बा, और जज़्बात जब मिल जाते है
तब क़ामयाबी कदम चूमती है और इतिहास बन जाते है

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26 FEB AT 15:44

अपने बिखरे अरमानों को समेटने चले थे हम
पतझड़ के पत्तों की तरह बिखरने चले थे हम

ख़ामोशी कभी चीखती है तो कभी गुनगुनाती है
कागज़ के कोरे पन्नों पर कुछ लिखने चले थे हम

कहीं मार ना डाले ये अँधेरी रात की घुटन मुझे
जुगनू की मद्धम रौशनी में संभलने चले थे हम

कोशिश तो पूरी किये थे लेकिन हार हो गयी मेरी
अपने सादगी से किसी को बदलने चले थे हम

आफ़ताब को जलाने के लिए माचिस खोजते हो
अरे ख़ुद की आग में ख़ुद ही दहकने चले थे हम

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15 OCT 2024 AT 9:14

चंदा भी देखो दूर आसमां में मुस्कुरा रहा है
आप के जन्मदिन में वी चमकता जा रहा है
मौसम-ए-गुलशन की देखो बात ही निराली है
किस तरह आज हर रंग निखरता जा रहा है

दुआओं की रौशनी से आपका घर सजता रहें
दिल में खुशियों का गिटार हमेशा बजता रहें
ना आए कोई तकलीफ़ आपके दहलीज़ पर
फूल ख़ूबसूरत सा आपके पास महकता रहें

खास मौक़े को और भी खास बना लीजिये
अपनों के साथ आज का दिन सजा लीजिये
सुबह का नर्म धूप हो या शाम का उजाला
ज़िन्दगी के रंगों से ख़ुशी का रंग चुरा लीजिये

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13 OCT 2024 AT 15:42

किसी की तकलीफ़ को दिल से महसूस करते जाना
किसी की ज़िन्दगी में थोड़ी सी ख़ुशियाँ लेते आना

कर जाना है काम ऐसा कि किसी के काम आ सके
वक़्त तो चलता रहता है क्या पता कल कौन कहाँ रहें

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2 OCT 2024 AT 15:34

दिन तो खास है कुछ और खास बना लीजिये
हँसते हुए ज़िन्दगी के रंगों से रंग चुरा लीजिये

एक साल बाद आता है ये जन्मदिन का दिन
अपने चेहरे में एक नई मुस्कान सजा लीजिये

हो दिन ख़ुशियों का हर गम से अनजान रहे
मेरी दुआ है ख़ुशी से भरा आपका मकान रहे

लिखते रहे ऐसे ही अपने लफ़्ज़ों के जादू से
अल्फाज़ हो खूबसूरत हर ख़ुशबु मेहरबान रहे

अपनों का साथ और प्यार से गुल खिल जाए
आप जो चाहें आपको हर वो ख़ुशी मिल जाए

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