हम फिर से कागज़ की कश्ती बनाने लगे है
गोया वापस से दौर-ए-बचपन में जाने लगे है
पुकार रहा है वो आइसक्रीम वाला मोहल्ले में
सुन कर उसकी आवाज़ दौड़ लगाने लगे है
बड़े हुए तो समझ आयी दुनियादारी की बातें
ख़ुद को ख़ुद में बंद कर ताला लगाने लगे है
ज़िन्दगी के अनसुलझे सवाल ने जब उलझाया
रातों की तन्हाई से अपना दर्द सुनाने लगे है
ख़ामोशी शोर करती है और रोज करती रहेगी
पकड़ कर आईना ख़ुद को समझाने लगे है
अब कौन सुने और सुनाये सुख दुख अपना
घड़ी की टिक टिक से दिल बहलाने लगे है
चीखने लगे जब लफ़्ज़ दिल के अंदर आफ़ताब
दर्द समेटकर कलम से क़ाफ़िया मिलाने लगे है-
शुक्रिया
सवि लिखती है शायरी, महफ़िल में सुनाती है
न जाने कितने दुख दर्द अपने दिल में छिपाती है
ख़ुद के लिए ख़ूबसूरत सा एक ख़त लिखकर
अपना हाल-ए-दिल ख़ुद को तसल्ली से बताती है
लिखती है ख़्याल, ख़्वाब और ज़िन्दगी की बातें
कोरे पन्नों में जज़्बात उतार कर काटती है रातें
दुख, दर्द, ग़म और परेशानी दूर रहें आपसे और
जन्मदिन में मिले ढेर सारी प्यारी-प्यारी सौगातें
लहज़ा बेमिसाल नेक दिल की प्यारी सी छवि है
इस YQ की दुनिया में ये एक बेहतरीन कवि है
किसी के लिए दोस्त किसी के लिए प्यारी बहन है
किसी के लिए एहसास तो किसी के लिए सवि है-
एहसास की बातें सिर्फ एहसास ही जानती है
कर गुजरती है कुछ भी जब दिल से ठानती है
लिख देती है दर्द-ओ-ग़म की एक नई कहानी
शायद कलम भी इनको बखूबी पहचानती है
मोहब्बत के बागों की फुलवारी लिख देती है
कभी अनकहे सवालों से यारी लिख देती है
लिखती है कुछ लोगों के बेनक़ाब चेहरे पर
कभी तीखे शब्दों से दुनियादारी लिख देती है
यूँ ही नहीं आज सितंबर वापस लौट आया है
किसी ने इस दिन को बहुत दूर से बुलाया है
कुछ तो खास बात है आज की इस तारीख में
एहसास का घर तो फूलों से जगमगाया है-
अपने साथ दूर से ख़्यालों का गुलदस्ता लायी है
अपने कलम से अपनी अलग पहचान बनायी है
लिख देती ज़िन्दगी के हर अंदाज़ को बखूबी
यासमीन बनकर सारे फ़िज़ाओं को महकायी है
मुश्किलों के समंदर में अपनी कश्ती उतारने चली
अपनी मेहनत से अपनी किस्मत संवारने चली
यूँ तो हालात कई आए रास्ता रोकने के लिए
लेकिन सब्र के साथ ज़िन्दगी संभालने चली
नाम की तरह आसपास फूलों का गुलिस्तान रहें
लबों पे हर दम एक प्यारी सी मुस्कान रहें
क़ामयाबी कदम चूमे दिल से हम दुआ करते है
बढते रहो आगे चाहें रास्ते कितने भी अंज़ान रहें-
दर्दनाक और भयावह वो सारा मंज़र देखा
बाढ़ में बहता मेहनत से बनाया घर देखा
पानी पानी चारों तरफ़ नदियाँ उफ़ान पर है
गांव और शहर में चीखता समंदर देखा
खुनी बारिश ने इस कदर तबाही मचाई
बहते सारे ख़्वाबों के बीच आँखें तर देखा
ये कैसा शोर है जो दम घोंट के मार रहा
न जाने कितने लोगों को आज बेघर देखा
जिस पर गुजरी है वहीं जानते समझते है
जिन्होंने सब कुछ निगलता अजगर देखा-
कच्चे धागों से बंधा मजबूत रिश्ता
भाई बहन का ये अनमोल रिश्ता
प्यार का, विश्वास का,
अपनेपन के एहसास का
भरोसे का, सुकून का
दिल से जुड़े जज़्बात का
आया है फिर से खुशियों का त्यौहार
कच्चे धागे में सिमटा प्यार बेशुमार-
चाहें अपना हमराज़ बना लो या अपना हमदर्द
चाहें बाँट लो एक दूसरे की ख़ुशी और ग़म
चाहें जितनी कोशिश कर लो रिश्ते बचाने की
लेकिन लोग बदल जाते है जैसे हों कोई मौसम-
18 नंबर की जर्सी पहनकर 18 साल से ये आते रहें
हँसते रहें रोते रहें और न जाने कितनों को रुलाते रहें
लेकिन हर बार जी जान लगा कर लड़ते रहें
उछलते रहें, चीखते रहें और दहाड़ते रहें
आख़िर कब तक ये ट्रॉफी इनसे दूर रहती
आख़िर कब तक ये किंग को निराश करती
फिर एक दिन 18 साल की मेहनत रंग लायी
03 जून की रात फिर इनकी आँखें नम हुई
लेकिन इस बार आंसू ख़ुशी के थे
जो वक़्त से पहले छलक रहें थे
हर साल की मेहनत इनके आँखों के आगे आने लगी
कोशिश तो बहुत की साथियों के साथ लेकिन जीत न मिली
लेकिन इस बार ट्रॉफी इनके हाथों में थी
इस बार जीत की ख़ुशी इनके आँखों में थी
इस बार इनके चाहने वाले ख़ुश थे
क्यूंकि हम सब के विराट कोहली ख़ुश थे-
किसी बादल की घटा लगती है
किसी बुज़ुर्ग की दुआ लगती है
जब ये लिखती है हाल ए दिल
किसी शायर की सदा लगती है
रखती है जब ये नज़रें झुकाकर
किसी मासूम की हया लगती है
रिश्तों को निभा लेती है दिल से
किसी अपने की वफ़ा लगती है
ज़िन्दगी के रास्ते में चलते हुए
किसी सफ़र की फ़ज़ा लगती है
चाहें जो भी बोलो आफ़ताब
शिफ़ा प्यारी सी शिफ़ा लगती है-
एक वक़्त के बाद जब सब्र आ जाता है
तब दिल को तन्हाई रास आने लगती है
फिर ये यादें नहीं रुलाती और तड़पाती
जब रात को ज़िम्मेदारी जगाने लगती है
ख़ुद की ख़्वाहिश का ख़्याल फिर किसे
जब हर दिन ज़िन्दगी आज़माने लगती है
ये ग़मों का शोर फिर सुनाई नहीं देता
जब राह चीखने और चिल्लाने लगती है
गुलिस्तां से बच-बचकर निकलना पड़ता है
जब ग़ुलाब की कली कांटे चुभाने लगती है
हलचल करता है जब मन के अंदर मन
तब एक कलम साथ निभाने लगती है-