जोश, जुनून, जज़्बा, और जज़्बात जब मिल जाते है
तब क़ामयाबी कदम चूमती है और इतिहास बन जाते है-
शुक्रिया
अपने बिखरे अरमानों को समेटने चले थे हम
पतझड़ के पत्तों की तरह बिखरने चले थे हम
ख़ामोशी कभी चीखती है तो कभी गुनगुनाती है
कागज़ के कोरे पन्नों पर कुछ लिखने चले थे हम
कहीं मार ना डाले ये अँधेरी रात की घुटन मुझे
जुगनू की मद्धम रौशनी में संभलने चले थे हम
कोशिश तो पूरी किये थे लेकिन हार हो गयी मेरी
अपने सादगी से किसी को बदलने चले थे हम
आफ़ताब को जलाने के लिए माचिस खोजते हो
अरे ख़ुद की आग में ख़ुद ही दहकने चले थे हम-
चंदा भी देखो दूर आसमां में मुस्कुरा रहा है
आप के जन्मदिन में वी चमकता जा रहा है
मौसम-ए-गुलशन की देखो बात ही निराली है
किस तरह आज हर रंग निखरता जा रहा है
दुआओं की रौशनी से आपका घर सजता रहें
दिल में खुशियों का गिटार हमेशा बजता रहें
ना आए कोई तकलीफ़ आपके दहलीज़ पर
फूल ख़ूबसूरत सा आपके पास महकता रहें
खास मौक़े को और भी खास बना लीजिये
अपनों के साथ आज का दिन सजा लीजिये
सुबह का नर्म धूप हो या शाम का उजाला
ज़िन्दगी के रंगों से ख़ुशी का रंग चुरा लीजिये-
किसी की तकलीफ़ को दिल से महसूस करते जाना
किसी की ज़िन्दगी में थोड़ी सी ख़ुशियाँ लेते आना
कर जाना है काम ऐसा कि किसी के काम आ सके
वक़्त तो चलता रहता है क्या पता कल कौन कहाँ रहें-
दिन तो खास है कुछ और खास बना लीजिये
हँसते हुए ज़िन्दगी के रंगों से रंग चुरा लीजिये
एक साल बाद आता है ये जन्मदिन का दिन
अपने चेहरे में एक नई मुस्कान सजा लीजिये
हो दिन ख़ुशियों का हर गम से अनजान रहे
मेरी दुआ है ख़ुशी से भरा आपका मकान रहे
लिखते रहे ऐसे ही अपने लफ़्ज़ों के जादू से
अल्फाज़ हो खूबसूरत हर ख़ुशबु मेहरबान रहे
अपनों का साथ और प्यार से गुल खिल जाए
आप जो चाहें आपको हर वो ख़ुशी मिल जाए-
ज़िन्दगी के रास्ते मुश्किल बड़े कुछ कुछ पेचदार है
हर कदम पर ठोकर देने छोटे बड़े पत्थर हज़ार है
किसने कह दिया कि साथ छोड़ देते है छोड़ने वाले
मेरी तकलीफ़ और दर्द तो मेरे प्रति बड़ा वफ़ादार है
बिखरी उम्मीदों का बिखरना जारी है आफ़ताब
फिर भी ख़ामोशी ओढ़ कर मुस्कुराने को तैयार है
अब लज़्ज़त नहीं आती ज़िन्दगी के इस प्लेट में
मौत करीब आकर गले लगने को हमसे बेक़रार है
वैसे दौर तो कई आए हँसने और गुनगुनाने के
पर बात वही है दिल शायद टूटे कांच पर सवार है
पूनम का चाँद भी कुछ कुछ लाल नज़र आता है
जैसे खून से नहा कर आता आजकल अख़बार है-
भाई की कलाई में रंगीन धागो का उजाला है
ये ऐसे चमक रहे जैसे एक मोती की माला है
जिसे मिला इस ख़ूबसूरत रिश्ते का एहसास
वो भाई इस जहां में कितना नसीबो वाला है
कच्ची डोर से बंध गयी एक पक्की डोरी में
लड़ाई के बीच प्यार देखो कितना निराला है
पर इन सब के बीच ये नहीं भूलना है कि
हमारी बहन जैसी हर किसी की बहन है
हर भाई और हर बहन के लिए दोनों एक दूसरे की ख़ुशियाँ है
हर भाई और हर बहन के लिए दोनों एक दूसरे की दुनिया है-
माना तुम्हारी नहीं किसी की तो बेटी थी
वो जो उस रात खून में लतपथ लेटी थी-
बच्चे हो या बड़े हो
गांव हो या शहर हो
तीन रंग में रंग गए है सारे
ना जाने कितनों ने लहू बहाया है
तब जा के आज़ादी का दिन आया है
आज के दिन महक उठे फूल और बहारे
वीरों की वीरता की निशानी ये शान हमारी है
सलाम उस तिरंगे को ये पहचान हमारी है-
अपने हाथों में एक मुट्ठी कलम लेकर चली है
सड़कों पे टूटे ख़्वाबों की ज़ख़्म लेकर चली है
ज़िन्दगी के दरख्त में कुछ टहनियों को सँभालने
आँखों में उम्मीद और दिल में ज़मम लेकर चली है
कभी निकल पड़ती कड़कड़ाती धूप में तो कभी
बारिश में भीगती दर्द-ओ-अलम लेकर चली है
माथे पर शिकन के साथ भूख और प्यास लिए
ख़्यालों की चारदीवारी पर शबनम लेकर चली है
चलते हुए ज़िन्दगी के पांव छिल ना जाए इसलिए
ज़ख्मों को सहलाने के लिए मरहम लेकर चली है
कोई ना देखे आँखें किस तरह उलझी हुई है
ख़ुद को ख़ुद में छिपा कर शरम लेकर चली है-